Last Updated: Tuesday, November 26, 2013, 22:12

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायलाय ने सरकार की सभी समाज कल्याण योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड की अनिवार्यता और आधार कार्ड की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की खंडपीठ ने कहा कि आधार कार्ड के मसले पर न्यायिक व्यवस्था देते समय राज्य सरकारों के दृष्टिकोण पर विचार करना जरूरी है। न्यायालय आधार कार्ड की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार कर रहा था। इन याचिकाओं में कहा गया है कि इससे नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन हो रहा है।
याचिकाकर्ताओं में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पुट्टास्वामी भी शामिल हैं। ये चाहते हैं कि योजना आयोग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को 28 जनवरी, 2009 के शासकीय आदेश के जरिये आधार कार्ड जारी करने से रोका जाए। एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण नागरकों और राज्य के बीच संबंधों को बदल रहा है जो कानून बनाकर भी नहीं किया जा सकता है। नागरिकों के बारे में व्यक्तिगत सूचनाएं एकत्र करके निजता के अधिकार का हनन हो रहा है क्योंकि इसके दुरुपयोग की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि नागरिकों से संबंधित व्यक्तिगत सूचनाएं निजी व्यक्ति एकत्र कर रहे हैं जिससे नागरिकों की निजता को गंभीर खतरा हो सकता है।
इस पर न्यायाधीशों ने कहा कि इसे सिर्फ निजता के पहलू से नहीं देखा जा सकता क्योंकि देश में निजता के अधिकार से कहीं अधिक जरूरी भोजन और पानी है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर फैसला करते समय सामाजिक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा। न्यायाधीशों ने कहा कि यह भी एक सच्चाई है। लोग निजता के अधिकार के बारे में कैसे सोच सकते हैं जब वे जीविका के लिये संघर्ष कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 26, 2013, 22:12