जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब

जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब

जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब नई दिल्ली : आम चुनाव से पहले जाट समुदाय को अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने का केन्द्र सरकार का निर्णय आज न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने जाट समुदाय को आरक्षण का लाभ देने के लिये उसे अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने के खिलाफ दायर याचिका पर आज केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया।

न्यायालय ने आरक्षण लाभ से इस समुदाय को अलग रखने के बारे में राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सलाह को कथित रूप से दरकिनार किये जाने पर केन्द्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन वी रमण की खंडपीठ ने कहा कि यह गंभीर मसला है और वे संबंधित फाइल का अवलोकन करके जानना चाहेंगे कि क्या जाट समुदाय को अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने हेतु चार मार्च की अधिसूचना जारी करने से पहले इस विषय पर गंभीरता से विचार किया गया था।

न्यायालय ने प्रतिवादी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को इस मसले से संबंधित सारी सामग्री, रिकार्ड और फाइलें पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीशों ने कहा कि दो याचिकाओं पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते हुये कहा, ‘हम इस मसले पर विचार करेंगे।’ न्यायालय से इस याचिका को नौ अप्रैल को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। साथ ही न्यायालय ने अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती से इस मामले में सहयोग करने का अनुरोध किया। न्यायालय ने कहा कि इस मसले पर सारे तथ्यों का अवलोकन करने के बाद ही चार मार्च की अधिसूचना पर रोक लगाने के बारे में विचार किया जायेगा। इस अधिसूचना के तहत बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान (भरतपुर और धौलपुर जिले), उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जाट समुदाय को अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल किया गया है।

अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण रक्षा समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि ‘वोट की राजनीति’ को ध्यान में रखते हुये यह अधिसूचना जल्दबाजी में जारी की गयी है। उन्होंने कहा, ‘चुनाव से पहले सत्तारूढ राजनीतिक दल वोट खरीदने के लिये इस तरह से रेवड़ियां बांटते हैं।’ उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का यह निर्णय गैरकानूनी और मनमाना है क्योंकि उसने जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल नहीं करने की राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की बाध्यकारी सलाह को नजरअंदाज किया है।

वेणुगोपाल ने कहा कि जाट तो अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में ‘सम्पन्न वर्ग’ (क्रीमी लेयर) जैसे होंगे और वे स्कूल, कालेज और सरकारी नौकरियों में अन्य समुदायों के स्थानों पर कब्जा कर लेंगे। इस संगठन के साथ ही दिल्ली निवासी राम सिंह, अशोक कुमार और अशोक यादव ने भी इस मसले पर केन्द्र सरकार की अधिसूचना को न्यायालय में चुनौती दे रखी है। इन्होंने अनेक अध्ययनों और सर्वे का हवाला देते हुये कहा है कि जाट समुदाय को सामाजिक रूप से अगली जाति का होने के कारण अन्य पिछड़े वर्गो के लिये आरक्षण के कोटे का अधिकांश हिस्सा मिल जायेगा और इस तरह अन्य पिछड़े वर्गो के जरूरतमंद लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो जायेंगे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, April 1, 2014, 19:31

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