Last Updated: Sunday, October 6, 2013, 14:01
नई दिल्ली : दागी सांसदों और विधायकों पर उच्चतम न्यायालय की ओर से हाल ही में दी गई व्यवस्था के फलस्वरूप दोषी ठहराए जाने के तत्काल बाद अयोग्य घोषित होने की स्थिति से निपटने में मदद के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए जा सकते हैं।
अटॉर्नी जनरल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद दोषी ठहराए गए सांसद और विधायक तत्काल अयोग्य घोषित हो जाएंगे। ऐसे में अयोग्यता की घोषणा के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होगा। साथ ही रिक्त होने वाली सीटों का मुद्दा भी सरकार, राज्यसभा और लोकसभा सचिवालयों तथा निर्वाचन आयोग के लिए चिंताजनक है।
उच्चतम न्यायालय ने दस जुलाई को दिए अपने फैसले में निर्वाचन कानून का वह प्रावधान रद्द कर दिया जो दागी सांसदों या विधायकों को उच्च अदालतों में अपील लंबित होने के आधार पर अयोग्यता से बचाता था। चारा घोटाले में राजद नेता लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने अटॉर्नी जनरल की राय मांगी।
अटॉर्नी जनरल ने स्पष्ट किया कि दोषी ठहराए जाने के तत्काल बाद सांसद या विधायक अयोग्य हो जाएंगे। लेकिन समझा जाता है कि पालन की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। समझा जाता है कि अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अयोग्यता संबंधी अधिसूचना का जारी किया जाना एक तकनीकी प्रक्रिया है।
कानून मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सांसदों की अयोग्यता के मुद्दे पर विचार कर रहे लोग इस बात पर स्पष्टता चाहते हैं कि अयोग्यता की घोषणा कौन करेगा और कौन से नियमों का पालन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, आम राय यह उभरी है कि सांसद या विधायक को अयोग्य घोषित किए जाने के मामले में निचली अदालत या राज्य निर्वाचन आयोग संबद्ध सदन या राज्य विधायिका के पीठासीन अधिकारी को फैसले की एक प्रमाणित प्रति भेज सकता है।
इसके बाद पीठासीन अधिकारी निर्वाचन आयोग को अयोग्यता के बाद रिक्त हुई सीट के बारे में सूचना दे सकता है।
तत्पश्चात निर्वाचन आयोग अगर उपचुनाव कराना चाहता है तो वह आगे की कार्रवाई करेगा। एक वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारी ने बताया कि यह बिल्कुल नयी स्थिति है जिसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की जरूरत है। ‘कानून के अनुसार, दोषी ठहराया गया सांसद या विधायक अब तत्काल अयोग्य हो जाता है।’
मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस सम्पत पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि निर्वाचन आयोग लालू प्रसाद और रशीद मसूद सहित दोषी और अयोग्य सांसदों की सीटें भरने के लिए तब ही कदम उठाएगा जब इन सीटों को रिक्त घोषित कर दिया जाएगा। संपत ने कल कहा था, ‘इन सांसदों के संदर्भ में, अदालत के फैसले के बाद रिक्त हुई सीटों के बारे में संबद्ध सदन के अध्यक्ष की ओर से घोषणा की जाएगी। इसके बाद ही आयोग आगे की कार्रवाई करेगा।’
लालू प्रसाद और रशीद मसूद उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद दोषी ठहराए गए सांसद हैं। साथ ही सरकार ने उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था को रद्द करने वाला एक अध्यादेश और विधेयक भी वापस ले लिया है। न्यायालय की व्यवस्था आम लोगों और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सुरक्षा पाए निर्वाचित सांसदों के बीच भेदभाव दूर करने के लिए है।
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (3) के अनुसार, अगर किसी को कोई अपराध के तहत दोषी ठहराया जाए और उसे दो साल या अधिक की सजा हो तो वह सजा की अवधि के साथ साथ रिहाई के छह साल बाद तक अयोग्य रहेगा। उपधारा 8 (4) में कहा गया है कि दोषी ठहराए जाने के बाद तीन माह तक किसी सांसद या विधायक को अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता और अगर इस अवधि में वह दोषी ठहराए जाने के फैसले के खिलाफ अपील कर देता है तो तब तक उसे अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता जब तक उसके मामले पर उच्च अदालत सुनवाई कर फैसला न सुना दे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 6, 2013, 14:01