Last Updated: Monday, March 10, 2014, 14:44

नई दिल्ली : आपराधिक मामलों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का आदेश देते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज निचली अदालतों के लिए ऐसे मामलों की सुनवाई आरोप तय होने के एक साल के भीतर भीतर पूरी करने की समय सीमा तय की।
न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसके साथ ही यह भी कहा कि यदि सुनवाई एक साल के भीतर पूरी नहीं होती है तो सुनवाई अदालत को संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को इसका कारण बताना होगा। पीठ ने हालांकि कहा कि यदि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुनवाई अदालत के जज द्वारा एक साल के भीतर सुनवाई पूरी नहीं करने के लिए दिए गए कारण से संतुष्ट हो जाते हैं तो वह इसकी समय सीमा बढ़ा सकते हैं ।
पीठ ने कहा कि सांसदों से संबंधित ऐसे सभी मामलों की सुनवाई तेजी से करने के लिए रोजाना के आधार पर अदालती कार्यवाही संचालित की जानी चाहिए।
अदालत ने इस बात को भी रेखांकित किया कि सालों तक ऐसे मामलों की सुनवाई लंबित रहती है और जघन्य अपराधों में आरोपित होने के बावजूद सांसद विधायक विधायी संस्थाओं की सदस्यता हासिल किए रहते हैं । शीर्ष अदालत ने एक गैर सरकारी संगठन पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। गैर सरकारी संगठन ने सांसदों की संलिप्तता वाले मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिए जाने की अपील की थी। एनजीओ ने तर्क दिया कि अदालती कार्यवाही में देरी के चलते संसद और विधानसभाओं के सदस्य सांसद और विधायक बने रहते हैं । (एजेंसी)
First Published: Monday, March 10, 2014, 12:44