सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण शिकायतों से निबटने के लिए बनाई समिति

सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण शिकायतों से निबटने के लिए बनाई समिति

सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण शिकायतों से निबटने के लिए बनाई समितिनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय के दायरे में यौन शोषण की शिकायतों से निबटने के लिये मंगलवार को न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में दस सदस्यीय समिति गठित की। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम ने यह समिति गठित की है। समिति में छह अन्य महिला सदस्यों को शामिल किया गया है। समिति में बाहर के दो सदस्यों की नियुक्ति की गयी है जिनका शीर्ष अदालत से किसी प्रकार का कोई सरोकार नहीं है।

कार्यस्थल पर यौन शोषण की शिकायतों से निबटने के बारे में शीर्ष अदालत द्वारा विशाखा प्रकरण में सुनाये गये फैसले में प्रतिपादित दिशा निर्देशों के अनुरूप इस समिति का गठन किया गया है। इस व्यवस्था के तहत समिति में महिला सदस्यों का बहुमत होना चाहिए और दो सदस्य सिविल सोसायटी के होने चाहिए जिनका मनोनयन प्रधान न्यायाधीश करेंगे।

इस समिति में शीर्ष अदालत के पीठासीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, वरिष्ठ अधिवक्ता एल नागेश्वर राव और राजीव गांधी समकालीन अध्ययन संस्थान के प्रो़ डा जी मोहन गोपाल को शामिल किया गया है। डा. मोहन गोपाल बाहरी व्यक्ति हैं जिन्हें प्रधान न्यायाधीश ने नामित किया है। समिति की महिला सदस्यों में वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दु मल्होत्रा, वकील बीना माधवन (उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि), बी सुनीता राव (उच्चतम न्यायालय एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन की प्रतिनिधि) और भारती अली (बाल अधिकारों के केन्द्र हक की सह निदेशक) शामिल हैं। भारती अली बाहरी हैं और उन्हें प्रधान न्यायाधीश ने नामित किया है। न्यायालय की अतिरिक्त रजिस्ट्रार रचना गुप्ता समिति की सदस्य सचिव होंगी।

भारती अली 1991 से महिलाओं और बच्चों से जुड़े मसलों पर काम कर रही हैं और वह हक (सेन्टर फॉर चाइल्ड राइट्स) की संस्थापक एवं सह निदेशक हैं। इसी तरह प्रो. डा. जी मोहन गोपाल भी भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की अकादमी काउन्सिल के सदस्य हैं। वह राज्यसभा (2011) अध्यक्ष द्वारा नियुक्त न्यायाधीश जांच समिति के भी सदस्य हैं। कानून की इंटर्न के आरोपों के मद्देनजर इस समिति का गठन बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। इस इंटर्न ने आरोप लगाया था कि हाल ही में सेवानिवृत्त एक न्यायाधीश के साथ इंटर्न के रूप में काम के दौरान उन्होंने उसका यौन शोषण किया था। इस मामले की जांच न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति कर रही है।

इस बीच, अतिरिक्त सालिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह सहित महिला वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि इस इंटर्न के आरोपों की जांच के लिये विशाखा प्रकरण के फैसले के अनुरूप समिति का फिर से गठन किया जाए। उच्चतम न्यायालय ने अपने दायरे में यौन शोषण की शिकायतों से निबटने के लिए बनाए गए दिशा निर्देश अक्तूबर में अपनी वेबसाइट पर लगाए थे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 26, 2013, 19:54

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