समलैंगिकता के फैसले पर पुनर्विचार अर्जी पर SC आज करेगा विचार

समलैंगिकता के फैसले पर पुनर्विचार अर्जी पर SC आज करेगा विचार

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय समलैंगिक यौन रिश्ते को दंडनीय अपराध घोषित करने वाले शीर्ष अदालत के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये केन्द्र सरकार ओैर समलैंगिक अधिकारों के समर्थक संगठन की याचिकाओं पर कल (मंगलवार को) विचार करेगा। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ कल चैंबर में पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर करके यह निर्णय करेगी कि इस निर्णय पर फिर से गौर करने की आवश्यकता है या नहीं।

गैर सरकारी संगठन नाज फाउण्डेशन ने इस फैसले के अमल पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये दलील दी है कि चार साल पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद हजारों समलैंगिंकों ने यौन रिश्तों के बारे में अपनी पहचान सार्वजनिक कर दी है औेर अब उन पर मुकदमा चलने का खतरा मंडरा रहा है।

इनका तर्क है कि समलैंगिक यौन रिश्तों का अपराधीकरण इस समुदाय के मौलिक अधिकारों का हनन है। इस संगठन का दावा है कि शीर्ष अदालत के निर्णय में अनेक खामियां हैं जिन्हें दुरूस्त करने की आवश्यकता है। इस फैसले की तीव्र आलोचना होने पर केन्द्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की है। केन्द्र भी चाहता है कि समलैंगिक यौन रिश्ते को अपनाने वाले हजारों लोगों के साथ होने वाले अन्याय से बचा जाये।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 दिसंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय का 2 जुलाई, 2009 का फैसला निरस्त करते हुये कहा था कि अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध घोषित करने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 असंवैधानिक नहीं है। न्यायालय ने कहा था कि उच्च न्यायालय की व्यवस्था कानूनी दृष्टि से टिकाउ नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Monday, January 27, 2014, 22:52

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