Last Updated: Friday, January 3, 2014, 12:49
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता पर अपने फैसले के खिलाफ कुछ केंद्रीय मंत्रियों के बयानों पर निराशा जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि समलैंगिकता पर दिए गए कुछ बयान सुखद और सराहनीय नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने मंत्रियों के खिलाफ कोई आदेश जारी करने से इनकार किया लेकिन उच्च पदों पर बैठे लोगों को इस तरह के बयान देने के प्रति आगाह किया।
गौर हो कि अप्राकृतिक यौनाचार को दंडनीय अपराध बताने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को संवैधानिक घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये केन्द्र सरकार ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर रखी है। मौजूदा कानून के तहत अप्राकृतिक यौनाचार दंडनीय अपराध है जिसके लिये उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
केन्द्र सरकार ने दायर पुनर्विचार अर्जी में दलील दी है कि समलैंगिक वयस्कों में स्वेच्छा से यौन संबंध स्थापित करने को अपराध के दायरे से बाहर करने वाली दिल्ली हाईकोर्ट की व्यवस्था को निरस्त करने वाली शीर्ष अदालत की 11 दिसंबर की व्यवस्था का बचाव नहीं किया जा सकता।
First Published: Friday, January 3, 2014, 12:49