शरीफ को करगिल अतिक्रमण के बारे में पता रहा होगा: जसवंत सिंह

शरीफ को करगिल अतिक्रमण के बारे में पता रहा होगा: जसवंत सिंह

शरीफ को करगिल अतिक्रमण के बारे में पता रहा होगा: जसवंत सिंह नई दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का मानना है कि नवाज शरीफ को 1999 में पाकिस्तानी सेना के करगिल में अतिक्रमण किये जाने के बारे में जानकारी रही होगी हालांकि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री कहते रहे हैं कि उन्हें इसके बारे में पता नहीं था।

सिंह ने कहा, ‘‘मैं नहीं समझता कि एक प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी नहीं रही होगी।’’ उनसे पूछा गया था कि क्या वह नवाज शरीफ की दलील को मानते हैं कि उन्हें पाकिस्तानी सेना के अतिक्रमण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी ,जिसके कारण तीन माह तक संघर्ष जारी रहा।

शरीफ को करगिल अतिक्रमण की जानकारी होने के बारे में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के दावे के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘‘इस विवाद में हम क्यों पड़ें? यह निरर्थक विवाद है। इस सवाल का जवाब मियां साहब ही दे सकते हैं।’’

सिंह ने कहा कि वह बताना चाहते हैं कि वह शरीफ की बातों पर अविश्वास करते हैं, ‘‘क्योंकि तब मैं प्रधानमंत्री को गलत ठहराऊंगा।’’ पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया एट रिस्क’ में करगिल से जुड़े घटनाक्रमों के बारे में लिखा है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना की ओर से अतिक्रमण मुशर्रफ का षडयंत्र था जो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा के बाद मेलमिलाफ के प्रयासों को पटरी से उतारने के उद्देश्य से किया गया था।

जसवंत ने कहा, ‘‘हमने एक दिशा तय करने की कोशिश की और मुशर्रफ ने उसे पटरी से उतार दिया। हम उसी स्थिति में लौट आए हैं।’’ फरवरी 1999 में बस से लाहौर जाने वालों में शामिल सिंह ने कहा कि वाजपेयी के साहसिक कदम ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पाकिस्तानी सेना में ऐसे तत्व थे जो भारत को घुटनों पर लाने के लिए आमदा थे.. यही बात सामने आई और हमारे सामने करगिल घटनाक्रम सामने आया और अंतत: मुशर्रफ ने देश की बागडोर अपने हाथों में ले ली।’’
करगिल घटनाक्रम को भारतीय कूटनीति और सैन्य दोनों दृष्टि से चुनौती करार देते हुए सिंह ने कहा कि प्रारंभ में सेना के पास अतिक्रमण की प्रकृति और आकार के बारे में स्पष्ट आकलन नहीं था।’’

सिंह ने कहा कि इस घटनाक्रम की वास्तविक तस्वीर सामने आने में 10-12 दिन लग गए थे। तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी पी मलिक उस समय देश से बाहर थे। मैंने सेना के उपप्रमुख से बात की। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हैं। मैंने कहा कि वे उत्पात मचा रहे हैं। आपको उन्हें निकालने में कितना समय लगेगा। उन्होंने कहा कि 10 दिन। इतना समय वास्तविक स्थिति के आकलन में लग गया।’’

पाकिस्तानी सेना करगिल में भारतीय क्षेत्र में काफी अंदर तक घुस आई थी और उसने कई पर्वतीय चोटियों पर कब्जा कर लिया था ताकि लेह और सियाचिन में आपूर्ति लाइन को काटा जा सके।

सिंह ने अपनी किताब में लिखा ‘‘अमेरिका को घटनाक्रम की कड़ियों के बारे में शुरुआत से ही जानकारी थी।’’ उन्होंने लिखा कि अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री मेडलिन आलब्राइट ने उनसे करगिल घुसपैठ के प्रकाश में आने के तीन सप्ताह बाद 30 मई को बात की और मैंने उन्हें संघर्षविराम की संभावना का संकेत दिया जिसके बाद सेना को पीछे हटाया जाना संभव हो सकता था।

इसके बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि अमेरिका को चिंता थी कि करगिल संघर्ष कहीं परमाणु युद्ध का रूप नहीं ले ले। उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिमी ताकतों के समक्ष यह सबसे बड़ी चिंता थी। इसी पृष्ठभूमि में मेडलिन ने मुझसे बात की थी।’’ (एजेंसी)

First Published: Monday, November 4, 2013, 20:40

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