`अपनी हत्या का पूर्वाभास हो गया था शेख मुजीबुर रहमान को`

`अपनी हत्या का पूर्वाभास हो गया था शेख मुजीबुर रहमान को`

नई दिल्ली : बांग्लादेश की आजादी के रचनाकार माने जाने वाले देश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की अगस्त, 1975 में असंतुष्ट सैन्य अधिकारियों ने हत्या कर दी थी और एक नयी किताब के अनुसार उन्हें करीब दो साल पहले ही अपनी हत्या की आशंका होने लगी थी। बांग्लादेशी पत्रकार सैयद बदरल अहसन की लिखी किताब ‘फ्रॉम रेबेल टू फाउंडिंग फादर-शेख मुजीबुर रहमान’ के अनुसार मुजीब को 12 सितंबर, 1973 को उस समय इस तरह का पूर्वाभास हुआ जब उन्हें चिली के पहले समाजवादी राष्ट्रपति सल्वाडोर अलेंडे की हत्या की खबर एक दिन पहले ही मिली थी।

नियोगी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक के अनुसार, ‘‘वह (मुजीब) महीनों तक चिली में बढ़ते अंधकार से रूबरू थे और अलेंडे की समस्याओं में उन्हें अपनी खुद की दिक्कतें दिखाई देने लगीं। उन्हें लगा कि अलेंडे की कठिनाइयां उनकी खुद की हैं। जब अलेंडे अपने खिलाफ साजिश का शिकार हो गये तो मुजीब को लगने लगा कि अगला निशाना वह बनेंगे।’’ चिली में सत्ता पलटने की खबर अपने गणोभवन दफ्तर में मिलने के बाद मुजीब काम पर ध्यान नहीं दे सके। वह जल्दी घर चले गये और अगले दिन तक नहीं निकले। बांग्लादेश में अपनी लेखन शैली के लिए मशहूर पत्रकार अहसन ने 278 पन्नों की अपनी किताब में मुजीब के राजनीतिक कॅरियर पर ध्यान केंद्रित किया है जिन्हें दक्षिण एशिया के सर्वाधिक करिश्माई नेताओं में गिना जाता है।

स्वतंत्र बांग्लादेश के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रथम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के तौर पर शासक के रूप में मुजीब को लेकर विचार बंटे रहे। पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा 11 महीने तक किए गए नरसंहार के बाद अस्तित्व में आए बांग्लादेश को खाने की कमी, महंगाई और अराजकता का सामना करना पड़ा और महज चार साल में उसे बहुदलीय लोकतंत्र से एक पार्टी के आधिपत्यवादी शासन की ओर रख करना पड़ा। हालांकि कुछ लोग देश के सर्वोच्च नेता के तौर पर मुजीब से इत्तेफाक नहीं रखते। (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 5, 2014, 15:45

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