स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विवाद गहराया

स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विवाद गहराया

स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विवाद गहराया नई दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विवाद और बढ़ गया है। इस तरह की बात सामने आई है कि उन्होंने 2004 और 2014 के लोकसभा चुनावों में दाखिल घोषणा पत्रों में विरोधाभासी जानकारी दी थी।

कांग्रेस ने इसी बात को आधार बनाते हुए स्मृति पर अपना हमला और तेज कर दिया वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल कर दिये। मधु किश्वर ने जब से स्मृति ईरानी की शिक्षा का मुद्दा उठाया है तब से यह विवाद और तेज होता जा रहा है। महिला अधिकार कार्यकर्ता किश्वर ने कहा था कि केवल 12वीं तक पढ़ी लिखी स्मृति को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया है।

छोटे पर्दे से राजनीति में आईं 38 वर्षीय स्मृति ने इस मामले में मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया। भाजपा और नई सरकार के लिए मुश्किल उस समय और बढ़ गयी जब यह पता चला कि स्मृति ने 2004 और 2014 के लोकसभा चुनावों में अपने घोषणा पत्रों में विरोधाभासी जानकारी दी थी।

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में वह दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ी थीं और उन्होंने अपनी डिग्री बीए बताई थी। शिक्षा के खाने में स्मृति ने लिखा था, ‘बीए 1996 दिल्ली विश्वविद्यालय (दूरस्थ शिक्षा केंद्र)।’ इस साल अमेठी से नामांकन भरते हुए दाखिल घोषणा पत्र में उक्त खाने में उन्होंने जानकारी दी, ‘बीकॉम भाग-1, स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (पत्राचार), दिल्ली विश्वविद्यालय-1994।’

उच्चतम न्यायालय ने 2012 में व्यवस्था दी थी कि किसी हलफनामे में गलत जानकारी उम्मीदवार के निर्वाचन को खारिज करने का आधार हो सकती है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि यह गलत जानकारी है और अपराध है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें नहीं पता कि 2004 या 2014 में कौन सी जानकारी सही है? लेकिन दोनों सच नहीं हो सकतीं।’ लोकतंत्र में मंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाये जाने का औचित्य पूछे जाने पर सिंघवी ने कहा, ‘हमने मुद्दा नहीं उठाया है और हम इसे महत्वहीन नहीं बना रहे हैं।’

सोनिया गांधी की शैक्षणिक योग्यता के संदर्भ में एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा, ‘वह मंत्री नहीं हैं।’ बहरहाल स्मृति ईरानी को जदयू नेता शरद यादव की ओर से समर्थन मिला। उन्होंने कांग्रेस पर मुद्दे को बेकार में उछालने का आरोप लगाया।

महिला अधिकार कार्यकर्ता मधु किश्वर ने स्मृति को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाने पर सबसे पहले ट्वीट कर नरेंद्र मोदी की आलोचना की और कहा कि भारत में शिक्षा और अनुसंधान खराब हालत में है और मानकों को सुधारने के लिए तत्काल कुछ करने की जरूरत है। खुद मोदी की प्रशंसक माने जाने वालीं किश्वर ने कहा कि इस काम के लिए सही दृष्टिकोण वाली शख्सियत की जरूरत है।

किश्वर ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को मुख्यमंत्रियों के साथ काम करना होता है क्योंकि शिक्षा राज्य का विषय है और कुलपतियों के साथ भी काम करना होगा। किश्वर ने ट्विटर पर लिखा था, ‘मानव संसाधन विकास विभाग को ऐसे प्रमुख की जरूरत है जो शिक्षा क्षेत्र में वामपंथी और दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों के बीच कुशलता के साथ काम करते हुए संवेदनशील पाठ्यक्रमों को परिभाषित कर सके जिन पर पक्षपातपूर्ण एजेंडा का प्रभाव नहीं हो।’

इस मामले में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने उनकी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल खड़ा कर दिया। उमा ने कहा, ‘मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि सोनिया गांधी की शैक्षणिक योग्यता क्या है, क्योंकि उन्होंने तो संप्रग का नेतृत्व किया है और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिशानिर्देश दिये हैं। पूरी संप्रग सरकार हाथ जोड़कर उनके दरवाजे पर खड़ी रहती थी।’ केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि वह कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि उनकी अध्यक्ष सोनिया गांधी कितनी पढ़ी-लिखी हैं।

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को लोकसभा चुनावों में अपनी हार के बाद अहंकार छोड़ देना चाहिए और आत्ममंथन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेताओं को भाजपा नेताओं के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल बंद करना चाहिए। कांग्रेस को जनादेश का सम्मान करना चाहिए।’ कांग्रेस नेता अजय माकन ने कल स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता पर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया था, ‘मोदी की क्या कैबिनेट है? मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी स्नातक तक नहीं हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उनके हलफनामे को देखिए।’

उमा ने कहा कि कांग्रेस ने पहले झांसी से उनकी उम्मीदवारी पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि वह मध्य प्रदेश से आती हैं। कांग्रेस अब भी इसी तरह की गलती दोहरा रही है। उमा ने कहा, ‘पहले तो कांग्रेस को सोनिया गांधी के प्रमाणपत्र दिखाने चाहिए और बताना चाहिए कि वह कितनी शिक्षित हैं और उन्होंने कहां से पढ़ाई की है। उसके बाद ही वे इस तरह के प्रश्न उठा सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि स्वास्थ्य मंत्री पेशे से चिकित्सक हो बल्कि यह बात मायने रखती है कि कोई व्यक्ति कैसे काम करता है।

बहरहाल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने अलग रख अख्तियार करते हुए कहा कि सरकार पर कोई भी हमला वास्तविक मुद्दों पर होना चाहिए, सतही मुद्दों पर नहीं। उन्होंने कहा कि 2000 के दशक के शुरूआती वर्षों में भाजपा के लोग भी इस तरह के बयान देते थे लेकिन सोनिया के नेतृत्व में संप्रग की लगातार दो सफलताओं के बाद उन्होंने इस मुद्दे को पीछे छोड़ दिया।

तिवारी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति सोनिया गांधी की राजनीतिक दूरदर्शिता पर सवाल खड़ा करने की कोशिश कर रहा है तो मुझे लगता है कि इसमें किसी की दिलचस्पी नहीं है। हालांकि स्मृति ईरानी के मामले में उठे विवाद पर तिवारी ने कहा कि सरकार की आलोचना नीति आधारित होनी चाहिए न कि व्यक्ति केंद्रित। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 29, 2014, 00:38

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