Last Updated: Saturday, May 24, 2014, 20:57

नई दिल्ली : सोनिया गांधी को एक बार फिर कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुन लिया गया।
हाल में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी में जारी आरोप प्रत्यारोप और कुछ नेताओं द्वारा टीम राहुल को निशाना बनाये जाने के बीच सोनिया ने पार्टीजन से सार्वजनिक बयानबाजी से बचने को कहा।
संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए सोनिया ने माना कि हमारे खिलाफ जबर्दस्त नाराजगी थी, जिसे हम सही ढंग से पहचानने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि हमें समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ और हमें व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक तौर इस अभूतपूर्व पराजय से उचित सीख हासिल करनी होगी।
सीपीपी की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी उम्मीद करती है कि संसद में सभी धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील ताकतें अपनी रणनीतियों का प्रभावशाली ढंग से परस्पर समन्वय करेंगी ताकि एकजुट विपक्ष तैयार हो सके। सीपीपी ने समान विचारधारा वाली अन्य पार्टियों को आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में अपना पूरा सहयोग करेगी।
लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की यह पहली बैठक थी। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और अकेले बहुमत का आकड़ा पार किया और दो दिन के बाद सत्ता संभालने वाली है, जबकि कांग्रेस का आजादी के बाद का सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन रहा और वह महज 44 सीटों पर सिमट कर रह गयी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 1998 के बाद से लगातार पांचवीं बार सीपीपी का प्रमुख चुना गया है। संसद के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में हुई इस बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे।
बैठक में निर्वतमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सहयोग एवं दिशानिर्देश देने के लिए कांग्रेस प्रमुख को धन्यवाद दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टीजन से सार्वजनिक बयानबाजी से बचने को कहा। उन्होंने माना कि कांग्रेस की इतनी बडी पराजय के बाद अधिकांश पार्टी सांसदों को तकलीफ है लेकिन इस अप्रत्याशित झटके से हमें व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर उचित सीख हासिल करनी होगी।
उन्होंने पार्टीजन से कहा कि पार्टी की ताकत और कमजोरियों को लेकर उनकी सूचना, अनुभव और आकलन, ‘‘सार्वजनिक रूप से कुछ कटु बात कहने की बजाय’’, पार्टी को पटरी पर लाने के लिए सही सीख हासिल करने के लिहाज से ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।
उन्होंने माना, ‘‘पार्टी खिलाफ जबर्दस्त नाराजगी थी, जिसे हम सही ढंग से पहचानने में विफल रहे। हमें समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ और सही सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।’’ सोनिया ने पार्टीजन को इस तथ्य से ताकत हासिल करने को कहा कि कांग्रेस 10.69 करोड़ वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही जबकि भाजपा को 17.16 करोड़ वोट आये। ‘‘हमें कड़ी मेहनत करनी है ताकि हम अपना बड़ा समर्थन आधार फिर से हासिल कर सकें, जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस के पास रहा है।’’ सीपीपी की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी उम्मीद करती है कि संसद में सभी धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील ताकतें अपनी रणनीतियों का प्रभावशाली ढंग से परस्पर समन्वय करेंगी ताकि एकजुट विपक्ष तैयार हो सके।
सीपीपी ने समान विचारधारा वाली अन्य पार्टियों को आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में अपना पूरा सहयोग करेगी। संसदीय दल के प्रमुख के लिए सोनिया गांधी के नाम का प्रस्ताव वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया और मोहसिना किदवई सहित कई अन्य नेताओं ने इसका समर्थन किया।
सोनिया इससे पहले 16 मार्च 1998 में सीपीपी की अध्यक्ष चुनी गयी थीं। उस समय वह किसी भी सदन की सदस्य नहीं थीं लेकिन आम चुनाव में पार्टी की पराजय के परिणामस्वरूप सीताराम केसरी को हटाये जाने के बाद उन्होंने नेतृत्व संभाला। सीपीपी की बैठक में मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार को बधाई और शुभकामनाएं दी गईं।
सीडब्ल्यूसी द्वारा सोनिया और राहुल का इस्तीफा नकारे जाने के बाद सीपीपी ने कहा कि वह देश भर में पूरी मेहनत से किये गये चुनाव प्रचार के लिए अपने इन दोनो नेताओं की आभारी है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 24, 2014, 18:09