Last Updated: Tuesday, May 20, 2014, 00:16
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में मिली भारी पराजय से स्तब्ध कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफे की पेशकश की जिसे पार्टी ने सर्वसम्मति से ठुकरा दिया। लोकसभा चुनाव में मिली भारी पराजय को लेकर टीम राहुल के कामकाज के तरीके पर परोक्ष रूप से असंतोष व्यक्त करने और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग के बीच यहां हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में सोनिया और राहुल ने यह पेशकश की। कार्य समिति ने सोनिया गांधी को हर स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए अधिकृत किया और एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में अपना पूरा भरोसा जताया।
कार्य समिति की बैठक के बाद पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, जवाबदेही पर चर्चा हुई। पुनर्गठन के लिए इंतजार कीजिये। कार्य समिति के प्रस्ताव में लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं से वादा किया गया कि वह पार्टी के भीतर अवसर और ढांचा तैयार करेगी जो सभी स्तर पर संगठन में नयी जान फूंकने का मार्ग प्रशस्त करेगा। संगठन के स्तर और पार्टी शासित राज्यों में बड़े बदलाव का संकेत देते हुए प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सुधार के उपाय पार्टी के स्तर पर और कांग्रेस द्वारा शासित राज्यों में सरकार के स्तर पर अवश्य किये जायेंगे।
कार्य समिति ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार और पार्टी दोनों को विफलता की जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए और हम ऐसा करते हैं। अपने इस्तीफे की पेशकश करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि जिस तरह की जवाबदेही पार्टी में होनी चाहिए वैसा नहीं है और वह अपने पद से इस्तीफे की पेशकश करके इस जवाबदेही की शुरूआत करते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, मेरा मानना है कि मैं पार्टी को मजबूत करने के लिए जरूरी बदलाव करने में सक्षम नहीं हो सकी। इसलिए इस करारी हार की मैं पूरी जिम्मेदारी लेती हूं और मैं अपना पद छोड़ने को तैयार हूं। सोनिया और राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश को कोई समाधान नहीं बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि सरकार का मुखिया होने के नाते सरकार के स्तर पर जो भी कमियां रही उसकी वह जिम्मेदारी लेते हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह संभवत: पहला मौका है जब चुनावी पराजय के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने इस्तीफे की पेशकश की है। सोनिया गांधी ने बैठक में कहा कि एक पार्टी के रूप में हमें पूरी गंभीरता के साथ चुनाव नतीजों पर आत्ममंथन करना होगा। इससे इस बात की संभावना बनी है कि पराजय के कारणें पर गौर करने के लिए कोई समिति बन सकती है।
कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी की संचार रणनीति की भी कड़ी आलोचना हुई और कुछ महासचिवों ने अपने पद से इस्तीफे की इच्छा जताई ताकि पार्टी नेतृत्व को संगठन के ढांचे का पुनर्गठन करने में खुली छूट मिल सके। बैठक में सदस्यों ने इस चुनाव में सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण पर भी चिंता जताई। कुछ सदस्यों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कैसे आरएसएस ने ध्रुवीकरण में भाजपा की मदद की। जब सोनिया और राहुल ने इस्तीफे की पेशकश की तो कुछ क्षणों के लिए सन्नाटा छाया रहा। पार्टी नेता अजित जोगी ने इस कदम को नामंजूर कर इस सन्नाटे को तोड़ा।
अजित जोगी के बाद गुलाम नबी आजाद, अनिल शास्त्री और अन्य नेताओं ने सीडब्ल्यूसी को संबोधित किया। इन सब ने कहा कि पार्टी को ऐसे समय में सोनिया और राहुल गांधी की जरूरत है जब भाजपा आरएसएस के पूरे समर्थन से ताकत के साथ उभरी है।
गौरतलब है कि 543 सदस्यीय 16वीं लोकसभा में कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट गई है। निवर्तमान लोकसभा में उसे 206 सीटें मिली थीं। सीडब्ल्यूसी की बैठक के पहले कुछ पार्टी नेताओं ने कहा था कि हार के कारणों का पता लगाने के लिए समिति गठित करने और फिर उसे भूल जाने की परंपरा इस बार नहीं दोहराई जानी चाहिए।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि इस बार जवाबदेही साफ तौर पर तय की जानी चाहिए और जहां भी कोई उसके लिए जिम्मेदार है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। सीडब्ल्यूसी में विशेष आमंत्रित सदस्य अनिल शास्त्री ने अपने ट्वीट में लिखा है, गंभीर आत्ममंथन की जरूरत है लेकिन निश्चित तौर पर पहले की तरह नहीं जिसमें आत्ममंथन से निकले सुझावों को कभी लागू नहीं किया गया।
First Published: Monday, May 19, 2014, 16:56