लोकपाल विधेयक पर लगभग आम सहमति, सपा अभी भी विरोध पर अडिग

लोकपाल विधेयक पर लगभग आम सहमति, सपा अभी भी विरोध पर अडिग

लोकपाल विधेयक पर लगभग आम सहमति, सपा अभी भी विरोध पर अडिगज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : राज्यसभा में मंगलवार को को चर्चा और पारण के लिए लोकपाल विधेयक पेश होने जा रहा है और सोमवार को हुई सर्वदलीय बैठक में इस पर लगभग आम सहमति बनती नजर आ रही है। संप्रग को बाहर से समर्थन दे रही सपा हालांकि इस विधेयक पर अपने विरोध पर अड़ी हुई है।

विधेयक को लेकर चल रहे गतिरोध को दूर करने की कवायद में राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसका सपा ने बहिष्कार किया। सपा का कहना है कि वह विधेयक के खिलाफ है क्योंकि इससे निर्णय लेने की संपूर्ण प्रक्रिया ही थम जाएगी। प्रस्तावित विधेयक के समर्थन का ऐलान कर चुकी बसपा और द्रमुक हालांकि आज की बैठक में शामिल नहीं हुए। बसपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी आज ही थी इस वजह से वे सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हो पाए।

आधे घंटे से कुछ अधिक समय चली बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि बैठक में शामिल सभी दल इस बारे में एकमत थे कि विधेयक को मंगलवार को पारित किया जाना चाहिए। बैठक में कुछ दलों के प्रतिनिधियों के उपस्थित नहीं होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि किसी न किसी वजह से वे शामिल नहीं हो पाए, लेकिन सरकार उनसे भी बातचीत करेगी।

कमलनाथ ने कहा कि हमने लोकपाल विधेयक को तेजी से पारित कराने के बारे में चर्चा की। सपा को छोड़कर सभी दलों ने इच्छा व्यक्त की कि किसी भी सूरत में विधेयक को कल पारित किया जाना चाहिए। सपा का कोई भी प्रतिनिधि आज की बैठक में शामिल नहीं हुआ। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि सभी पार्टियां सपा को मनाने की कोशिश करेंगी कि विधेयक पारित कराने में वह सहयोग करे और सदन की कार्यवाही में बाधा न पहुंचाए।

सूत्रों ने बताया कि चर्चा के दौरान राजग नेता हंगामे के बावजूद विधेयक को पारित कराने के पक्ष में दिखे लेकिन इस बारे में एक राय थी कि विधेयक का विरोध कर रहे लोगों को सदन से बाहर निकालने में मार्शलों का इस्तेमाल नहीं किया जाए। समझा जाता है कि प्रवर समिति की सिफारिशें आने के बाद विधेयक में कुछ संशोधनों के लिए विपक्ष सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा था। सूत्रों ने बताया कि सरकार भाजपा की इस मांग को विधेयक में समाहित करने पर सहमत हो गयी है कि लोकपाल द्वारा सौंपे गये मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों का तबादला लोकपाल की सहमति के बगैर नहीं होगा।

इस बीच, सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का विरोध कर रही है और करती रहेगी। उन्होंने कहा कि हमारी राय में यह विधेयक यदि अस्तित्व में आया तो कोई भी मंत्री या नौकरशाह किसी फाइल पर दस्तखत नहीं करेगा। निर्णय लेने की पूरी प्रक्रिया थम जाएगी।

भाजपा नेता प्रकाश जावडेकर ने कथित दोहरे मानदंड प्रदर्शित करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी सपा को मनाने की कोशिश करती नहीं नजर आ रही है जबकि सपा पिछले नौ साल से अधिक अवधि से संप्रग सरकार का बाहर से समर्थन कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि लोकपाल को लेकर केन्द्र के इरादे स्पष्ट हैं तो ऐसी कोई वजह नहीं कि वह सपा को राजी न कर पाए। इसी सपा ने सरकार को साढे नौ साल तक बचाया है। जावडेकर ने कहा कि जब जरूरत पडती है तो यही पार्टियां सरकार के पक्ष में मतदान करती हैं और जब महिला आरक्षण, लोकपाल जैसे मुद्दे आते हैं तो ये पार्टियां विरोध कर देती हैं। स्वाभाविक सी बात है कि केन्द्र के इरादे स्पष्ट नहीं हैं।

आज की सर्वदलीय बैठक में शामिल होने वालों में भाजपा के अरुण जेटली, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, शिवसेना के संजय राउत, अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, जदयू के एन के सिंह, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा और राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह थे।

अन्ना हजारे का अनशन सातवें दिन में प्रवेश कर गया है और सरकार ने सोमवार को ऐलान किया कि लोकपाल विधेयक उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा वह इस विधेयक को पारित कराने के लिए संसद का मौजूदा सत्र बढ़ाने को भी तैयार है। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने लोकपाल विधेयक पारित करने के लिए प्रश्नकाल को शुक्रवार को निलंबित रखने का नोटिस दिया।

First Published: Monday, December 16, 2013, 18:21

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