4 से 12 जून तक चलेगा संसद का विशेष सत्र, कमलनाथ होंगे प्रोटेम स्‍पीकर

4 से 12 जून तक चलेगा संसद का विशेष सत्र, कमलनाथ होंगे प्रोटेम स्‍पीकर

4 से 12 जून तक चलेगा संसद का विशेष सत्र, कमलनाथ होंगे प्रोटेम स्‍पीकरज़ी मीडिया ब्‍यूरो/बिमल कुमार

नई दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में कैबिनेट की दूसरी अहम बैठक गुरुवार को हुई। तीन दिन के कार्यकाल में कैबिनेट की यह दूसरी बैठक है। इस दौरान 16वीं लोकसभा का पहला सत्र बुलाने पर फैसला किया गया। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई निर्देश दिए गए।

बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं से कहा कि 16वीं लोकसभा का पहला विशेष सत्र 4 जून से बुलाने पर निर्णय किया गया है। 4 से 12 जून तक विशेष सत्र चलेगा। विशेष सत्र के दौरान नए सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी। नए सांसद 4 और 5 जून को शपथ लेंगे। वहीं, विशेष सत्र के दौरान लोकसभा का नया स्‍पीकर चुना जाएगा। 6 जून को लोकसभा स्‍पीकर का चुनाव होगा। इसके बाद 9 जून को संयुक्‍त बैठक होगी। कमलनाथ फिलहाल प्रोटेम स्‍पीकर होंगे।

नायडू ने बताया कि नौ जून को राष्‍ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्‍त सत्र को संबोधित करेंगे। इसके बाद 10 और 11 जून को राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होगी।

नायडू ने यहां संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उन्हें बताया कि लोकसभा के प्रोटेम (अस्थायी) स्पीकर के लिए वरिष्ठतम सदस्य कमलनाथ के नाम का चयन किया गया है। उनके सहयोग के लिए स्पीकर के पैनल पर तीन और सदस्य होंगे। ये अर्जुन चरण सेठी, पीए संगमा और वीरेन सिंह एंगती हैं। इस बारे में अधिसूचना जल्द आ जाएगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उक्त सभी नामों पर सहमति जताई है। उक्त सदस्यों की भी सहमति सरकार ने ले ली है। नायडू ने बताया कि स्पीकर (लोकसभा अध्यक्ष) के चुनाव के बाद हम उपाध्यक्ष के बारे में फैसला करेंगे।

कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद देंगे या नहीं, इस सवाल के जवाब में नायडू ने कहा कि हम विभिन्न परंपराओं का अध्ययन कर रहे हैं और इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है। उल्लेखनीय है कि विपक्ष का नेता बनने के लिए विपक्षी दल के पास लोकसभा के कुल 543 सदस्यों का दस प्रतिशत होना अनिवार्य होता है जो कांग्रेस या किसी अन्य दल के पास नहीं है। ये पूछे जाने पर कि क्या सरकार कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को पहले सत्र में पारित कराएगी, नायडू ने कहा कि मैं इस प्रक्रिया में हूं कि कौन से विधेयक लंबित हैं। कौन से विधेयक तरजीह दिये जाने वाले हैं। इसका अध्ययन चल रहा है। इस सवाल पर कि अगर अन्नाद्रमुक, तेदेपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल यदि मिलकर गठबंधन बनाते हैं तो क्या उपाध्यक्ष का पद उन्हें दिया जाएगा, नायडू ने कहा कि ऐसी कोई परंपरा नहीं है। गठबंधन की सरकार के बारे में तो सुना है लेकिन अब तक गठबंधन वाले विपक्ष के बारे में नहीं सुना। विपक्ष के नेता को लेकर 1977 के कानून, परंपराओं और नियमों को ध्यान में रखकर ही उचित समय आने पर कोई फैसला किया जाएगा।

नायडू ने कहा कि सभी मंत्रियों ने अपने संबद्ध मंत्रालयों और विभागों के मुद्दे और सुझाव मोदी के समक्ष रखे। मोदी ने सबकी बात सुनने के बाद कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा सुशासन है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। बकौल नायडू मोदी ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा डिलीवरी (निष्पादन) है। तीसरा महत्वपूर्ण मुद्दा कार्यान्वयन है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्यों की ओर से आने वाली चिट्ठियों और ज्ञापनों को महत्व मिलना चाहिए। उनका अध्ययन कर तुरंत जवाब देना चाहिए। जनता की ओर से आने वाली शिकायतों और मुददों पर भी ध्यान दिया जाए और उनके तुरंत समाधान का प्रयास किया जाना चाहिए।

नायडू ने कहा कि मोदी ने सभी मंत्रियों को पहले 100 दिन का टाइम टेबल तैयार करने को कहा। उन्होंने कहा कि कौन से मुद्दों को तरजीह देनी है और कौन से मुद्दे लंबित हैं, इस पर ध्यान दिया जाए। इनके समाधान का प्रयास किया जाना चाहिए। राज्यों को साथ लेकर चलें। असल संघीय व्यवस्था कायम होनी चाहिए।

First Published: Thursday, May 29, 2014, 09:51

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