Last Updated: Saturday, February 15, 2014, 09:57
ज़ी मीडिया ब्यूरो/प्रवीण कुमारनई दिल्ली : अरविंद केजरीवाल की सरकार के इस्तीफे के बाद दिल्ली कैसे चलेगी को लेकर सवाल खड़ा हो गया है कि दिल्ली में दोबारा चुनाव होंगे या फिर राष्ट्रपति शासन लागू होगा? केजरीवाल ने इस्तीफे के बाद दिल्ली विधानसभा को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है। दरअसल दिल्ली विधानसभा में यह स्थिति पहली बार पैदा हुई है क्योंकि इससे पहले की विधानसभाओं में भाजपा या कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल था। पहली विधानसभा में भाजपा को बहुमत मिला था और बाद के तीन चुनावों में कांग्रेस को। पिछले साल हुए चुनावों में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। दिल्ली पर छाए कोहरे को हटाने के लिए उपराज्यपाल कुछ प्रमुख विकल्पों पर गौर कर सकते हैं।
पहला, उपराज्यपाल विधानसभा को भंग करें। राष्ट्रपति शासन लगाएं, जो छह महीने तक रह सकता है। लेकिन नए चुनाव इससे पहले भी हो सकते हैं। दूसरा, विधानसभा को भंग करने के बजाय निलंबित रखा जाए और राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। इस बीच सरकार बनने की संभावना तलाशी जाए। और तीसरा, भाजपा को फिर से सरकार बनाने का न्योता दिया जा सकता है। भाजपा खुद दावा करे तो उसे सरकार बनाने के लिए कहा जा सकता है।
नई सरकार बनने तक केजरीवाल से काम जारी रखने को कहा जा सकता है लेकिन ऐसी कोई बंदिश उपराज्यपाल पर नहीं है। यह फैसला पूरी तरह राजनीतिक होता है। मौजूदा हालात देखकर नहीं लगता कि उपराज्यपाल केजरीवाल से कामचलाऊ सरकार के रूप में पद पर बने रहने को कहेंगे। केजरीवाल भी मुख्यमंत्री बने रहना नहीं चाहेंगे।
जहां तक दोबारा जनादेश की बात है तो इस बारे में दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस.के. शर्मा का कहना है कि गृह मंत्रालय राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर यह फैसला लेगी। माना जा रहा है कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव होने पर कांग्रेस घाटे में रह सकती है, इसलिए वह विधानसभा को फिलहाल निलंबित रखने और लोकसभा चुनावों तक विधानसभा चुनाव टालने की नीति पर चल सकती है।
First Published: Saturday, February 15, 2014, 09:57