Last Updated: Monday, November 25, 2013, 23:03

पणजी/नई दिल्ली : गोवा पुलिस ने ‘तहलका’ पत्रिका के संपादक तरूण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार से आज संपर्क किया जबकि तेजपाल ने अग्रिम जमानत के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
इस बीच महिला पत्रकार ने बतौर कर्मचारी अपने उपर पड़ने वाले किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त रहने के लिए पत्रिका से इस्तीफा दे दिया जबकि राष्ट्रीय महिला आयोग ने उसकी सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों के बारे में मुम्बई पुलिस से जानकारी मांगी। महिला ने बयान दिया था कि तरूण तेजपाल को बचाने के लिए उनका परिवार उस पर दबाव डाला रहा है।
गोवा के पुलिस उपमहानिरीक्षक ओ पी मिश्रा ने पणजी में कहा कि मामले के जांच अधिकारी ने महिला पत्रकार से संपर्क किया है। हालांकि उन्होंने उसका ब्यौरा देने से इनकार किया और दावा किया कि पुलिस उसकी निजता की सुरक्षा चाहती है। उधर, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी कल तेजपाल की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करेंगे। वरिष्ठ वकील के टी एस तुलसी और गीता लुथरा ने यह अर्जी उनके सामने पेश की।
तेजपाल ने गोवा में उपयुक्त अदालत से संपर्क करने के लिए अंतरिम जमानत की भी मांग की है। उन्होंने अपने वकील संदीप कपूर के माध्यम से यह अर्जी दाखिल की है। गोवा पुलिस ने 22 नंवबर को तेजपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और उन पर भादसं की धारा 376 (बलात्कार), धारा 376 (2) (के) (अपने रुतबे का बेजा इस्तेमाल कर अपनी हिरासत में महिला से बलात्कार करना) और धारा 354 (शीलभंग) लगायी थी। संपर्क करने पर महिला पत्रकार ने कहा कि उसने तहलका से इस्तीफा दे दिया है।
सूत्रों ने कहा कि दो दिन पहले उसने तहलका प्रबंधन को अपना इस्तीफा भेजा था क्योंकि वह संगठन के कर्मचारी के रूप में पड़ने वाले किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त होना चाहती थी। उसने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा था कि उस पर और उसके परिवार पर तेजपाल को बचाने के लिए दबाव डाला जा रहा है और उन्हें डराया धमकाया जा रहा है। इस मामले से निबटने के तहलका के तौर तरीके से निराश सलाहकार संपादक जय मजूमदार और सहायक संपादक रेवती लाल ने भी त्यागपत्र दे दिए हैं।
ऐसी खबर है कि तहलका के साहित्य संपादक सौगत दासगुप्ता भी हट गए हैं तथा आने वाले दिनों में और लोग इस्तीफा दे सकते हैं। पिछले दो दिन में गोवा पुलिस की तीन सदस्यीय टीम ने तहलका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी और तीन अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की जिन्हें महिला पत्रकार ने आपबीती बतायी थी। महिला ने इन तीनों के नाम शिकायत में लिखे थे जिनसे उसने गोवा के एक होटल के लिफ्ट में कथित यौन शोषण के बाद संपर्क किया था और कहा था कि शोमा उनसे इसकी पुष्टि कर सकती हैं। इसी बीच लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरूंधती राय ने पूरे प्रकरण को बलात्कार नंबर टू उन मूल्यों एवं राजनीति का बलात्कार जिनका तहलका अलमबरदार होने का दावा करता है करार दिया। उन्होंने एक साप्ताहिक पत्रिका में अपने स्तंभ में लिखा, अब जो कुछ हुआ, उससे न केवल मैं स्तब्ध हूं बल्कि उसने मेरे हृदय को तार तार कर दिया है। उन्होंने कहा कि तेजपाल ने अपने ईमेलों और संदेशों में अपना गुनाह कबूल किया। उसके बॉस के रूप में निर्विरोध सत्ता की अपनी स्थिति में उससे बड़े शान से माफी मांगी और तब खुद को सजा देने के लिए छह महीने की छुट्टी की घोषणा की जिसे बस भ्रम कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अब जब यह पुलिस का मामला बन गया है तब तेजपाल वकीलों, जिनकी सेवा केवल धनी ही ले पाने में सक्षम होते हैं, की सलाह पर वही करने लगे हैं, जो बलात्कार के कई आरोपी करते हैं कि जिसे वे अपना शिकार बनाते हैं, उसका मान मर्दन करते हैं और उसे झूठा बतलाते हैं। अरूधंती राय ने कहा कि अब बड़े ही बेशर्म तरीके से कहा जा रहा है कि तरूण को राजनीतिक कारणों से संभवत: दक्षिणपंथी हिंदू ब्रिगेड द्वारा फंसाया जा रहा है। अतएव, ऐसी महिला, जिसे उन्होंने हाल ही में नौकरी के लिए बिल्कुल फिट समझा था, अब (उनकी नजर में) न केवल कमजोर चरित्र की महिला है बल्कि फासीवादियों की एजेंट है। यह बलात्कार नंबर टू है यानी उन मूल्यों एवं राजनीति का बलात्कार जिनका तहलका अलमबरदार होने का दावा करता है। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 25, 2013, 21:47