Last Updated: Monday, October 7, 2013, 23:09
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली/हैदराबाद : आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य गठन के फैसले के विरोध में सीमांध्र में चल रहे तीव्र विरोध की वजह से सोमवार को जनजीवन प्रभावित रहा। बिजलीकर्मियों की हड़ताल के चलते कई इलाके अंधेरे में रहे, बिजली के अभाव में रेलवे को कई रेलगाड़ियां रद्द करनी पड़ी। आंध्र प्रदेश विभाजन के विरोध में हैदराबाद में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख जगनमोहन रेड्डी का अनशन तीसरे दिन भी जारी रहा। वहीं तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार से नई दिल्ली में अनशन शुरू किया।
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और आंध्र प्रदेश के हालात की जानकारी दी। प्रदेश के विभाजन के फैसले के बाद से तीव्र विरोध का दौर जारी है। आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ राज्य में धरना और विरोध प्रदर्शन के बीच बिजली कर्मियों की हड़ताल से तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों के कई इलाके अंधेरे में डूब गए जबकि केंद्र ने सभी के हितों की सुरक्षा करने वाला सौहाद्रपूर्ण हल का आश्वासन देते हुए लोगों से शांति की अपील की। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात के बाद शिंदे ने कहा कि हमें इस मुद्दे के ऐसे सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने का भरोसा है जिससे राज्य के सभी क्षेत्रों के लोगों के हितों की रक्षा होती है। शिंदे का बयान उस वक्त आया है जब अपना दबाव बढ़ाने की कवायद के तहत सीमांध्र क्षेत्र के चार केंद्रीय मंत्रियों ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और उनसे तेलंगाना के गठन के संदर्भ में वर्तमान परिस्थितियों में अपना इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया। शिंदे ने कहा कि मंत्री समूह नए राज्य के गठन के विवरण पर गौर करने तथा सभी मुद्दों का सामूहिक रूप से निवारण करने के साथ सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श करेगा।
वहीं, केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने सोमवार को कहा कि तेलंगाना राज्य बनाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की कोई गुंजाइश नहीं है और इस विषय पर हो रहे हिंसक प्रदर्शनों का समर्थन वे दल कर रहे हैं जिन्होंने पहले आंध्र प्रदेश के विभाजन का समर्थन किया था। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार आंध्र प्रदेश के प्रस्तावित विभाजन और तेलंगाना के निर्माण पर पुनर्विचार नहीं करने जा रही। अविभाजित आंध्र प्रदेश के नाम पर हो रहे प्रदर्शनों की अगुवाई वे राजनीतिक दल कर रहे हैं, जिन्होंने पहले नए राज्य के विचार का समर्थन किया था। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं, चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस पर तेलंगाना मसले को लेकर राजनीति खेलने का आरोप लगाया। नायडू ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि वह पृथक तेलंगाना के पक्ष में हैं या संयुक्त आंध्र प्रदेश के पक्ष में। उन्होंने सिर्फ यहां कहा कि हम दोनों क्षेत्रों के लोगों के लिए न्याय चाहते हैं। यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी किस तरफ है, नायडू सीधा जवाब देने से कतरा गए और प्रतिप्रश्न किया कि यदि आपके पास दो बच्चे हैं तो आप किसे चुनेंगे? नायडू ने कांग्रेस पर लोगों को बांटने का आरोप लगाया।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह राजनीति खेल रही है। उन्हें आम आदमी की पीड़ाओं का ख्याल नहीं है। वे अधिकतम वोट जुटाना चाहते हैं। नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश `इमोबाइलिज्मो` (अंग्रेजी के इमोबाइल के लिए इटैलियन शब्द) की स्थिति में आ गया है यानी ठहर-सा गया है। उन्होंने कहा कि मैं इटली की भाषा में इसलिए बोल रहा हूं ताकि कांग्रेस सरकार यहां इसे आसानी से समझ सके। नायडू ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस निर्णय पर अन्य पार्टियों से चर्चा नहीं की। उन्होंने सवाल किया कि वे सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे हैं? एक राज्य का गठन क्या कांग्रेस का आंतरिक निर्णय है? नायडू ने कहा कि लोकतंत्र का मतलब है कि अगर कोई समस्या है तो उस पर बहस, बातचीत होनी चाहिए और अंततोगत्वा उसका कोई समाधान तो निकालना ही होता है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों का राजनीतिक व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी यह सब भूल गई है। वे कोई समाधान नहीं ढूंढ रहे। दूसरी तरफ वे समस्या खड़ी कर रहे हैं।
यहां आंध्र भवन में नायडू का उपवास ऐसे समय में शुरू हुआ है, जब वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी संयुक्त आंध्र प्रदेश की मांग को लेकर हैदराबाद में बेमियादी अनशन पर हैं। उधर, कांग्रेस पार्टी ने तेलंगाना के निर्माण के अपने फैसले का बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि केवल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को छोड़कर सभी दलों ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का समर्थन किया था। कांग्रेस महासचिव और आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा कि तेलंगाना मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के दौरान माकपा को छोड़कर सभी दलों ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का समर्थन किया था। उनका यह बयान आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में चंद्रबाबू नायडू द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में अनशन शुरू किए जाने के थोड़ी ही देर बाद आया। दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि तेलंगाना के समर्थन में चंद्रबाबू का लिखा एक पत्र उनके पास है।
आंध्र प्रदेश के विभाजन को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शनों एवं हिंसक घटनाओं को देखते हुए दिग्विजय सिंह ने आंध्र प्रदेश के सीमांध्र क्षेत्र के लोगों को आश्वस्त किया है कि सुरक्षा, शिक्षा एवं हैदराबाद में रोजगार जैसे मुद्दों का ध्यान रखा जाएगा। दिग्विजय सिंह ने सोमवार को अपने ट्विटर खाते पर की गई टिप्पणी में कहा कि मैं सीमांध्र के सभी लोगों को हैदराबाद में सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं विकास योजनाओं से जुड़ी उनकी वाजिब चिंताओं के प्रति उन्हें आश्वस्त करता हूं।
उधर, आंध्र प्रदेश को विभाजित कर पृथक तेलंगाना राज्य गठित करने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में राज्य के बिजली विभाग के कर्मचारियों ने सोमवार को दूसरे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी। हड़ताल के कारण रायलसीमा एवं तटवर्ती आंध्र क्षेत्रों के अधिकांश हिस्सों में बिजली आपूर्ति दूसरे दिन भी ठप्प रही और कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। सीमांध्र के सभी 13 जिलों में बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण विद्युत उत्पादन एवं वितरण पूरी तरह ठप्प रहा और क्षेत्र के दर्जनों कस्बे तथा सैकड़ों गांव दूसरे दिन भी अंधेरे में डूबे रहे। किसी तरह की आपात व्यवस्था न होने के कारण अस्पतालों में मरीजों को बेहद कठिनाई से गुजरना पड़ रहा है, जबकि कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई। सीमांध्र बिजली कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी), आंध्र प्रदेश पारेषण निगम के अधिकारियों और आंध्र प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों के बीच वार्ता असफल रही। कर्मचारियों ने तब तक हड़ताल समाप्त करने से इनकार कर दिया जब तक कि केंद्र सरकार यह आश्वासन न दे दे कि राज्य का विभाजन नहीं होगा।
सोमवार को राज्य के पूर्वी विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (ईपीडीसीएल) के कर्मचारियों के भी हड़ताल में शामिल हो जाने के कारण स्थिति और विकट हो गई। श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम, पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में भी बिजली आपूर्ति ठप्प हो गई। बिजली के अभाव में भुवनेश्वर और विशाखापट्टनम के बीच तथा अन्य रेलमार्गो पर रेल की आवाजाही ठप्प हो गई। ओडिशा से लगे श्रीकाकुलम जिले में विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर सैकड़ों यात्री फंसे रहे। अधिकारियों ने बताया कि चूंकि सिर्फ एक ट्रैक का ही उपयोग किया जा रहा है, इसलिए ट्रेनें चार घंटे विलंब से चल रही हैं। रेल विभाग को दूसरे दिन भी विजयवाड़ा, गुडुरू एवं अन्य इलाकों की कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। कर्मचारियों की हड़ताल रविवार से जारी रहने के चलते तटीय आंध्र प्रदेश एवं रायलसीमा क्षेत्रों के साथ ही हैदराबाद में बिजली का संकट बरकरार है।
राज्य बिजली उत्पादन, पारेषण एवं वितरण कंपनियों के कर्मचारियों ने कल अनिश्चकालीन हड़ताल शुरू की थी। इसके कारण दोनों क्षेत्रों एवं हैदराबाद में बिजली उत्पादन एवं आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई। हडताल के कारण अनेक ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। पावर सिस्टम आपरेशन कापरेरशन आफ पावर ग्रिड के आंकड़ों के अनुसार सीमांध्र क्षेत्र में आंदोलन के कारण 400 केवी की तीन पारेषण लाइन तथा 400:220 केवी की दो लाइन ट्रिप हो गई।
इस बीच, आंध्रप्रदेश के वित्त मंत्री ए. रामनारायण रेड्डी ने बताया कि कर्मचारी मुद्दे पर मंत्रिमंडल की उपसमिति ने हड़ताल से उत्पन्न गतिरोध खत्म करने के लिए हड़ताली कर्मचारियों से आज मुलाकात की। मुख्यमंत्री एन. किरण रेड्डी बुधवार को हड़ताली कर्मचारियों से मुलाकात करेंगे। मुख्यमंत्री ने कल सीमांध्र के जिलों के एपीएसपीडीसीएल कर्मियों से कहा था कि वह तिरूमला तिरूपति देवस्थानम में ब्रह्मोत्सवम के मद्देनजर अपनी हड़ताल वापस ले लें।
इस बीच, तेदेपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने यहां अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर आंध्रप्रदेश के विभाजन के खिलाफ संघर्ष राष्ट्रीय राजधानी में ला दिया। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना राज्य के सृजन के केन्द्रीय मंत्रिमंडल के 3 अक्टूबर के फैसले के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा के बाद विजयनगरम में शनिवार से कर्फ्यू है। वहां सुरक्षा बलों ने अशांत क्षेत्रों में गश्त की।
First Published: Monday, October 7, 2013, 23:09