‘परिवार’ के बाहर की हस्तियों को स्मृति से मिटा दिया गया:मोदी

‘परिवार’ के बाहर की हस्तियों को स्मृति से मिटा दिया गया:मोदी

‘परिवार’ के बाहर की हस्तियों को स्मृति से मिटा दिया गया:मोदीअहमदाबाद : मौलाना आजाद और आचार्य कृपलानी को उनकी जयंती पर याद करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि ऐसी कई ऐतिहासिक हस्तियां हैं जो लोगों की स्मृति से सिर्फ इसलिए मिटा दी गई हैं क्योंकि वे एक खास परिवार से नाता नहीं रखते।

मोदी ने आचार्य कृपलानी और मौलाना अबुल कलाम आजाद की 125 वीं जयंती पर अपने ब्लॉग पर लिखा, ‘‘यह सही है कि ऐसी ऐतिहासिक हस्तियां हैं जिन्हें लोगों की स्मृति से सिर्फ इसलिए मिटा दिया गया है क्योंकि वे एक खास परिवार से नाता नहीं रखते।’’

वंशवाद की राजनीति पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि वे किसी खास परिवार से नहीं जुड़े हैं, क्या हमें उन्हें लोगों की स्मृति से मिटा देना चाहिए या उन्हें कम याद करना चाहिए।’’ उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि भारत का इतिहास असंख्य पुरुषों और महिलाओं का इतिहास या संघर्ष है जिन्होंने मातृभूमि के आह्वान पर अपना जीवन समर्पित कर दिया।

मोदी की टिप्पणी कांग्रेस और भाजपा के स्वतंत्रता सेनानी सरदार पटेल की विरासत पर दावा करने को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच आई है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोदी यहां एक कार्यक्रम में सरदार पटेल की विरासत पर दावा करने को लेकर आमने-सामने थे।

मोदी ने कहा, ‘‘विभिन्न ऐतिहासिक शख्सियतों को याद करने के लिए हमने काफी प्रयास किया है। इनमें वैसी शख्सियत शामिल हैं जिनकी पूरी तरह अनदेखी की गई है या जिन्हें इतिहास की पुस्तकों में पर्याप्त याद नहीं किया गया है।’’
भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने लिखा, ‘‘मौलाना आजाद को भारत के विभाजन का पुरजोर विरोध करने के लिए भी याद किया जाएगा। वर्ष 1912 में उन्होंने ‘अल हिलाल’ समाचार पत्र शुरू किया, जो औपनिवेशिक शासकों पर हमला करने से नहीं हिचकिचाया।’’

कृपलानी के संबंध में मोदी ने लिखा है, ‘‘वह गहरे सिद्धांतों वाले व्यक्ति थे और उनमें गरीब से गरीब की सेवा करने के प्रति वचनबद्धता थी। आचार्य कृपलानी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी के नेतृत्व को गले लगाया।’’ मोदी ने लिखा है, ‘‘आचार्य कृपलानी ने इतिहास रचा जब उन्होंने पहली बार 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।’’

स्वतंत्रता संघर्ष की बड़ी शख्सियतों को दलीय नेता तक सीमित करने पर व्यथा जताते हुए मोदी ने लिखा, ‘‘इन हस्तियों को दलीय नेता होने के प्रिज्म से देखने से बड़ा अन्याय हमारे इतिहास के साथ और कुछ नहीं होगा।’’ (एजेंसी)

First Published: Monday, November 11, 2013, 23:51

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