Last Updated: Thursday, February 27, 2014, 21:42

नई दिल्ली : जाने-माने विधिवेत्ता फली एस नरीमन ने उस प्रक्रिया का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है जिसके तहत लोकपाल के विभिन्न पदों के लिए नामों का चयन किया जाना है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि बहुस्तरीय प्रक्रिया सर्वाधिक सक्षम, स्वतंत्र और साहसी लोगों की अनदेखी कर सकती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी को लिखे पत्र में नरीमन ने कहा कि वह समिति का हिस्सा बनने के
‘सम्मान’ को अस्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में यह लोकपाल जैसी महत्वपूर्ण संस्था के गठन का तरीका नहीं है। अध्यक्ष और लोकपाल के सदस्य जो आखिरकार चुने जाएंगे उन्हें दो स्तरीय चयनकर्ताओं के बीच व्यापक आम सहमति से लोकतांत्रिक तौर पर चुना हुआ पेश किया जाएगा लेकिन निश्चित रूप से यह कारण है जिसकी वजह से मुझे डर है कि सर्वाधिक सक्षम, सर्वाधिक स्वतंत्र और सर्वाधिक साहसिक व्यक्ति की अनदेखी हो जाएगी।’’ सरकार ने उन्हें 21 फरवरी को सर्च कमेटी का हिस्सा बनने की पेशकश की थी।
उनके नाम का प्रस्ताव पांच सदस्यीय चयन समिति ने लोकपाल अधिनियम के तहत आठ सदस्यीय सर्च कमेटी का हिस्सा
बनाने के लिए रखा था। सर्च कमेटी अध्यक्ष और आठ सदस्यों (चार न्यायिक और चार गैर न्यायिक) सदस्यों के पद के लिए मिले आवेदनों की जांच करेगी और चयन समिति के पास भेजेगी। चयन समिति में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की ओर से नामित उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एच एल दत्तू, लोकसभा में विपक्ष की नेता और विधिवेत्ता पी पी राव शामिल हैं।
राव के नाम पर सुषमा स्वराज सहमत नहीं थीं। उन्होंने उन्हें ‘कांग्रेस का वफादार’ बताया था लेकिन राव के पक्ष में अधिक मत पड़ने से स्वराज की आपत्ति खारिज हो गई। ऐसा समझा जाता है कि सुषमा ने नरीमन और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के नाम की चयन समिति के लिए अनुशंसा की थी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 27, 2014, 21:42