Last Updated: Tuesday, April 1, 2014, 09:52
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : भारत में हो रहे आम चुनाव के बीच अमेरिका की राजदूत नैंसी पॉवेल ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अग्रणी समझा जाता है और अमेरिका में भी वहां रह रहे भारतीयों में मोदी के नाम की लहर है।
वहीं, ओबामा प्रशासन ने इन खबरों को खारिज किया कि भारत में अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल ने उनके साथ किन्हीं मतभेदों के कारण इस्तीफा दिया और कहा कि वह 37 वर्ष का अपना उत्कृष्ट करियर पूरा करेंगी। गृह विभाग की उपप्रवक्ता मैरी हार्फ ने अमेरिका के साथ मतभेदों के कारण पावेल के इस्तीफे संबंधी खबरों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मतभेदों के बारे में आपके किसी सवाल में सच्चाई नहीं है। वह 37 वर्ष की सेवाओं के बाद सेवानिवृत्त हो रही हैं। पावेल ने आज अमेरिका में कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा को अपना इस्तीफा सौंपा है।
इस बीच बीच, एक नये सर्वे’ ने कहा कि राजनीतिक जगत में भारतीयों की बड़ी संख्या नई दिल्ली में नये नेतृत्व का समर्थन करती है। इस सर्वे ने 7 दिसंबर 2013 से 12 जनवरी 2014 के बीच हुए ताजा सर्वेक्षण की सामग्री जारी करते हुए कहा कि संतुष्ट की तुलना में दो गुने से अधिक भारतीय देश में जारी घटनाक्रम से असंतुष्ट हैं और यह बात पूरी राजनीतिक बिरादरी में मौजूद है। इसमें कहा गया कि वे राष्ट्रीय स्तर पर नई पार्टी और मजबूत नेतृत्व चाहते हैं।
इससे पहले, यहां अमेरिकी मिशन में उनके सहयोगियों के बीच उनके इस्तीफे की घोषणा हुई। एक सप्ताह पहले यहां मीडिया में खबर छपी थी कि भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में ओबामा प्रशासन उन्हें वापस बुला सकता है। पॉवेल तीन साल से भी कम समय से भारत में थी। अमेरिकी दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि भारत में अमेरिका की राजदूत नैंसी जे पॉवेल ने 31 मार्च को अमेरिकी मिशन टाउन हॉल की एक बैठक में घोषणा की कि उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति ओबामा को सौंप दिया है। कुछ समय पहले बनी योजना के मुताबिक मई के आखिर से पहले वह सेवानिवृत होकर डेलवेयरे में अपने घर लौट जाएंगी। अमेरिकी दूतावास के सूत्रों ने भारत में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने और उसके नतीजे में अमेरिका की गहरी दिलचस्पी के बीच 67 वर्षीय इन अधिकारी के अपने पद से इस्तीफा देने और उनके घर लौटने पर कोई अनुमान लगाने से इनकार कर दिया। एक सप्ताह पहले मीडिया में ऐसी अटकल थी कि पॉवेल के स्थान पर कोई राजनीतिक नियुक्ति की जाएगी। ओबामा भारत के साथ संबंधों में हाल के समय में आयी गड़बड़ी को दुरूस्त करने के सिलसिले में ऐसा कदम उठा सकते हैं। खबर के अनुसार पॉवेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने में अनिच्छा जताई थी और वह संप्रग के विदेश नीति प्रतिष्ठान की करीबी समझी जाती थीं।
अमेरिका ने 2002 के गुजरात दंगे को लेकर नौ साल से जारी मोदी के बहिष्कार को खत्म करते हुए उनसे संबंध सुधारने का फैसला किया जिन्हें प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अग्रणी लोगों में एक समझा जाता है। उसके बाद पॉवेल ने मोदी से भेंट की। अमेरिका का यह कदम मोदी से कोई संबंध नहीं रखने के उसके पिछले रूख में यू टर्न है। वर्ष 2005 में अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के मुद्दे पर मोदी का वीजा रद्द कर दिया था। तब उसने अपनी इस नीति की समीक्षा करने से इनकार कर दिया था। पहले यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने भी चुनाव से पहले मोदी का बहिष्कार खत्म किया था और उनके साथ संबंध सुधारने का प्रयास किया। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Tuesday, April 1, 2014, 09:52