Last Updated: Thursday, October 24, 2013, 13:15

बीजिंग : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत एवं चीन के संबंधों में प्रगति हुई है व आपसी सहयोग बढ़ा है और इसकी वजह दोनों देशों द्वारा अपने मतभेदों को सुलझाना और सीमावर्ती क्षेत्रों को शांत रखना है। मनमोहन सिंह ने इसके साथ ही कहा कि विश्व में भारत एवं चीन का संबंध अनूठा है।
प्रधानमंत्री ने चाइनिज कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल के दौरे पर कहा कि हमारे संबंध में प्रगति हुई है और व्यापक क्षेत्रों में हमारा सहयोग बढ़ा है। इसकी वजह यह है कि हमने अपने मतभेदों को सुलझाया है और सामान्यत: अपने सीमावर्ती इलाकों को शांत रखा है। साथ ही, हमने अपने सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास जारी रखा है।
मनमोहन सिंह दो देशों की यात्रा के दौरान चीन पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने रूस का दौरा किया था। वह गुरुवार को स्वदेश रवाना हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि चीन के साथ स्थिरता भरे संबंधों की वजह से दोनों देशों के लिए उनके द्वारा किए गए आर्थिक विकास के अवसर के दोहन की परिस्थितियां तैयार हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझीदार बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि भारत की योजना अगले पांच सालों में आधारभूत सरंचनाओं में 10 खरब डॉलर का निवेश करना है और हम इस क्षेत्र में चीनी दक्षता और निवेश का स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि बेशक, दोनों के बीच चिंताएं है, चाहे वे सीमावर्ती इलाके की घटनाएं हों या सीमा पार नदियों एवं व्यापार असंतुलन का मसला रहा हो। उन्होंने कहा कि हमारे हालिया अनुभवों ने यह दिखाया है कि इस तरह के मसले द्विपक्षीय या बहुपक्षीय सहयोग के अवसरों के पूर्ण दोहन में अवरोध बन सकते हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा कि वह सीमा रक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए) पर सहमति बनने से खुश हैं और जिन अधिकारियों ने नीति निर्धारित की है कि वे हमारे सहयोग को बढ़ाने और भारत-चीन संबंध को बढ़ावा देने के लिए सब कुछ करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग ने उन्हें भारत एवं चीन के उन्नतिशाली राष्ट्र बनने एवं पारस्परिक सुसंगत होने के लक्ष्य को पाने का भरोसा दिलाया है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारे भविष्य का फैसला मुकाबले से नहीं, बल्कि सहयोग से होना चाहिए। यह आसान नहीं होगा, लेकिन हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री ने भारत एवं चीन के संबंध को अनूठा करार देते हुए कहा कि हम विश्व के दो सबसे घनी आबादी वाले देश हैं, एक स्तर पर हम लोगों के सामाजिक-आर्थिक बदलाव की प्रक्रिया में लगे हुए हैं और इसकी रफ्तार मानवीय इतिहास में अभूतपूर्व है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब प्रयास भारत के आर्थिक विकास की दर को 7-8 फीसदी के बीच वापस लाने के लिए करना है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 24, 2013, 13:15