Last Updated: Saturday, March 1, 2014, 17:31
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : यूपीए कैबिनेट की रविवार को एक बार फिर बैठक होने वाली है। समझा जाता है कि इस बैठक में भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों के लिए अध्यादेश लाने और कुछ दूसरे लोकप्रिय उपायों पर विचार किया जा सकता है। शुक्रवार को ऐसे संकेत आए थे कि सरकार अध्यादेश लाने के बारे में पूरी तरह से फैसला नहीं कर पाई है और कुछ केंद्रीय मंत्री भी अध्यादेश लाने पर आश्वस्त नहीं दिखे। साथ ही शुक्रवार की बैठक को यूपीए की अंतिम बैठक भी माना जा रहा था।
सूत्रों के अनुसार शरद पवार ने शुक्रवार की कैबिनेट की बैठक में संभवत: कहा कि इस मामले में जल्दबाजी की क्या जरूरत है और मामले का फैसला अगली सरकार के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। सरकार की हिचकिचाहट की एक और वजह यह भी थी क्योंकि उसे आशंका थी कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इन्हीं आधार पर इसपर सवाल उठा सकते हैं।
लेकिन रविवार शाम कैबिनेट की बैठक बुलाने के फैसले से ऐसे संकेत मिलते हैं कि सरकार ने अध्यादेश लाने के बारे में मन बना लिया है। सरकार में सूत्रों ने सुझाव दिया है कि कई सारे अध्यादेश लाने की बजाय सरकार भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक, अजा-अजजा (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक और निशक्त जन अधिकार विधेयक पर अध्यादेश लाने को मंजूरी दे।
लेकिन आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। कैबिनेट की शुक्रवार को करीब दो घंटे तक बैठक हुई थी, जिसमें अध्यादेश को स्थगित करने के बारे में फैसला किया गया। हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक और भ्रष्टाचार से जुड़े दो विधेयक बैठक की विषय सूची में शामिल थे। इनमें नागरिकों को वस्तुओं एवं सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति और उनकी शिकायतों के समाधान से जुड़ा विधेयक था। राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के लिए जो खाका तैयार किया, यह भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक उसका हिस्सा थे। इनके साथ अजा-अजजा (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, निशक्त जन अधिकार विधेयक, सुरक्षा कानून (संशोधन) विधेयक और दिल्ली उच्च न्यायालय विधि (संशोधन) विधेयक भी विषय सूची में थे।
यह प्रस्तावित विधेयक हो हल्ले के कारण संसद के विस्तारित शीत कालीन अधिवेशन में पारित नहीं हो पाए थे। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Saturday, March 1, 2014, 17:31