Last Updated: Tuesday, June 10, 2014, 19:06

नई दिल्ली : सरकार ने देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के लिए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उसके कार्यकाल में कम विकास दर के कारण कर संग्रह कम हुआ, महंगाई और राजकोषीय घाटा बढ़ा और निवेश चक्र टूट गया।
राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि संप्रग ने अर्थव्यवस्था को बदहाल स्थिति में छोड़ा है और कुछ ऐसी चीजें की गयी हैं जिनके प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए कदम उठाने पड़ेंगे।
जेटली ने कहा कि पिछले दिनों संपन्न हुए चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का भाजपा को फायदा हुआ लेकिन यह सत्ता विरोधी लहर पिछली सरकार के कामकाज को लेकर असंतोष से उपजी क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार के कामकाज को लेकर जनता खुश नहीं थी। यही वजह है कि हम पर जनता की अपेक्षाओं का दबाव है।
उन्होंने कहा कि जनता ने जातिवाद, परिवारवाद, वंशवाद आदि को नकारते हुए हमें चुना है क्योंकि ये सुशासन का विकल्प नहीं हो सकते। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा राजग सरकार पर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की योजनाओं की नकल करने का आरोप लगाए जाने के संदर्भ में जेटली ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने जो भी काम किया, हकीकत में वह है कहां, वह तो नजर ही नहीं आया। उन्होंने कहा ‘अगर आपने 90 फीसदी काम किया है तो क्या लोग शेष रह गए 10 फीसदी काम को लेकर असंतुष्ट थे। अगर ऐसा होता तो आपको जनता नहीं ठुकराती।’
जेटली ने कहा कि हकीकत यह है कि पिछले 2 साल में आर्थिक विकास दर 5 फीसदी से भी कम रही है। अप्रैल में मुद्रास्फीति दर 8.9 फीसदी थी। कम विकास दर और उंची मुद्रास्फीति हमें पूर्ववर्ती सरकार से मिली है। उन्होंने कहा कि नयी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद निवेशक एक बार फिर भारत की ओर देखने लगे हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में दो साल तक सुस्ती बनी रही जबकि ऐसा होना हमेशा नकारात्मक असर डालता है। अभी हमारे सामने मौका है कि हम कम लागत वाली विनिर्माण गतिविधियों को तेज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे के क्षेत्र में 1947 के बाद पटरियों के विस्तार में केवल 10 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसमें और तेजी लाने की जरूरत है। साथ ही बीते तीन वर्ष में हुए राजमागो’ के विस्तार की भी समीक्षा की जानी चाहिए। जेटली ने कहा कि विकास के लिए ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहे एक दल की हो या गठबंधन सरकार हो, प्रधानमंत्री कार्यालय की पूरी जिम्मेदारी होती है। आखिरी फैसले का अधिकार भी प्रधानमंत्री के पास ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री को कोयला आवंटन घोटाले और 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में गड़बड़ियों पर नजर रखते हुए शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए थी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 10, 2014, 19:06