Last Updated: Saturday, October 19, 2013, 16:59

नई दिल्ली : पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद कोयला घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने की विपक्ष की मांग खारिज करते हुए केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंत्रालय के प्रशासनिक प्रमुख और मंत्रालय के राजनीतिक प्रमुख में फर्क होता है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री तिवारी ने कहा कि नौकरशाही के स्तर पर सरकार की ओर से लिए गए प्रशासनिक फैसलों के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराना अनुचित होगा। उन्होंने कहा कि कोयला मंत्री के रूप में शिबु सोरेन के इस्तीफे के बाद सिंह ने अंतरिम रूप से कोयला मंत्रालय का पद संभाला था। तिवारी ने एक निजी टेलीविजन चैनल के एक कार्यक्रम में कहा, ‘जब तक कोई फाइल प्रधानमंत्री के पास पहुंचती है तब तक यह नौकरशाही और पीएमओ की नौकरशाही की ओर से प्रोसेस की जा चुकी होती है। प्रधानमंत्री से हर एक फाइल का अध्ययन करना और फिर उसपर दस्तखत करना और फिर उसका उपयोग यह कहने के लिए करना कि प्रधानमंत्री भी बराबरी के सहअपराधी है, मुझे लगता है कि यह खींचा जा रहा है।’
तिवारी ने यह बात पारेख की टिप्पणी से संबंधित एक सवाल पर कही जिसमें पूर्व कोयला सचिव ने कहा था कि अगर उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और वह साजिश के दोषी हैं तो निश्चित रूप से पूर्व कोयला राज्य मंत्री डी. नारायण राव और प्रधानमंत्री भी उस साजिश के हिस्सेदार होंगे क्योंकि आबंटन उन दो मंत्रियों के दस्तखत के बगैर नहीं होता। मनमोहन की हिमायत करते हुए तिवारी ने कहा कि जहां मंत्री नीति के उल्लेखनीय मुद्दों को निबटाते हैं, प्रशासनिक मुद्दे सचिव निबटाते हैं जो मंत्रालय के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘कोई जिम्मेदारी से भाग नहीं रहा है। मैं यह अंतर बनाने की कोशिश कर रहा हूं कि जब फाइल प्रधानमंत्री के पास आती है, जो किसी खास मंत्रालय के अंतरिम प्रमुख हैं, यह समूची कोयला नौकरशाही से गुजर चुकी होती है।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 19, 2013, 16:59