राहुल और नरेंद्र मोदी के भाषण का अंदाज अलग क्यों?

राहुल और नरेंद्र मोदी के भाषण का अंदाज अलग क्यों?

राहुल और नरेंद्र मोदी के भाषण का अंदाज अलग क्यों?नई दिल्ली: अगले वर्ष 2014 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए अपनी-अपनी पार्टियों के स्टार प्रचारकों राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के प्रचार के अंदाज में भारी अंतर है। दोनों अपने-अपने तरीके से लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। जहां कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का भाषण सचेत और कामकाजी आदमी के जैसा होने से प्रतिदान मांगने वाले में बदल चुका है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नरेंद्र मोदी पूरी तरह से आक्रामक और लड़ाकू मुद्रा में रहते हैं। इन्हीं दो नेताओं में से एक अगले वर्ष प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभालेगा।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (63) भाजपा के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी हैं। उनकी वाक कौशल पर कहीं से भी संदेह नहीं किया जा सकता है। इसी कला की बदौलत वे विरोधियों पर हमला बोलते हैं और श्रोताओं को खींचते हैं। वे पिछले महीने अपनी इस कला का जौहर राष्ट्रीय राजधानी में भी दिखा चुके हैं।

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी (43) बुधवार से पहले तक मोदी के मुकाबले आक्रामक नहीं रहे थे। बुधवार को अलीगढ़ और रामपुर में आयोजित रैली में राहुल पहली बार आक्रामक तेवर में दिखे। अभी तक पार्टी की ओर से औपचारिक तौर पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए राहुल को हालांकि पार्टी के नेता-कार्यकर्ता प्रधानमंत्री प्रत्याशी के रूप में मान रहे हैं।

अपने भाषण में विपक्षी दलों और उनके नेताओं का नाम नहीं लेने वाले राहुल बुधवार को भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों को मुजफ्फरनगर हिंसा के बहाने निशाने पर लिया। शुक्रवार को उन्होंने बड़ी चालाकी से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना राजनीतिक गुरु बताया। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 11, 2013, 19:25

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