पार्टी प्रमुख की इच्छानुसार चलूंगा : अजित जोगी

पार्टी प्रमुख की इच्छानुसार चलूंगा : अजित जोगी

पार्टी प्रमुख की इच्छानुसार चलूंगा : अजित जोगी नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ ही खेमे में बंटी कांग्रेस की राज्य इकाई के लिए एक अच्छी खबर है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस आला कमान यहां राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को समझाने में कामयाब रही है। यह आज जोगी के इस कथन से पूरी तरह साफ भी हो गया, जिसमें उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के मुद्दे पर वह पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की इच्छानुसार ही चलेंगे।

जोगी से पूछा गया कि क्या वह विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे विधानसभा, लोकसभा या राज्य सभा में से कौन सा चुनाव लड़ना है, इसका फैसला सोनिया गांधी को करना है।’ कांग्रेस पिछले दस वर्षों से राज्य की सत्ता से बाहर है और ऐसे में हाल के कुछ समय से नाराज चल रहे जोगी को पार्टी खुश रखना चाहती है।

जोगी की यह टिप्पणी केंद्रीय नेतृत्व से मिल रहे हैं उन संकेतों के बाद सामने आई है, जिसके मुताबिक पार्टी जोगी की पत्नी रेणु और उनके बेटे अमित को विधानसभा चुनाव एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव का टिकट दे सकती है। पार्टी में यह तर्क दिया जा रहा था कि एक ही परिवार के तीन सदस्य विधानसभा सभा चुनाव कैसे लड़ सकते हैं। वर्तमान में जोगी और उनकी पत्नी विधायक हैं। जोगी को मध्य प्रदेश से अलग होकर बने छत्तीसगढ़ राज्य का पहला मुख्यमंत्री होने का भी गौरव प्राप्त है।

छत्तीसगढ़ के लिए गठित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) की संविक्षा समिति फिलहाल यहां बैठक कर रही है। पार्टी महासचिव सीपी जोशी इस समिति के अध्यक्ष हैं। इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही थी कि नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किसी भी विद्रोह को टालने के लिए जोशी ने राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों को लेकर जोगी के साथ चर्चा की थी।

पार्टी की राज्य इकाई यहां जोगी समर्थक और विरोधी खेमे में बंट चुकी प्रतीत होती है, हालांकि राहुल गांधी सहित कई केंद्रीय नेता राज्य के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ मिल कर काम करने की आवश्यकता को विभिन्न मौके पर रेखांकित कर चुके हैं। कुछ समय पहले राहुल गांधी ने कहा था कि वर्ष 2008 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार पार्टी कार्यकर्ताओं की वजह से नहीं, बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की वजह से हुई थी, जिन्होंने मिल कर काम नहीं किया। राज्य में वर्ष 2008 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 50 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस को यहां 38 और बहुजन समाज पार्टी को दो सीटें मिली थीं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 6, 2013, 14:55

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