Last Updated: Tuesday, November 12, 2013, 15:59

नई दिल्ली : यौन उत्पीड़न के आरोप की चपेट में अब उच्चतम न्यायालय भी आ गया है। एक युवा महिला इंटर्न ने हाल ही में सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर में एक होटल के कमरे में उसके साथ उस समय बदसलूकी की जब राजधानी सामूहिक बलात्कार की घटना से जूझ रही थी।
इस युवा महिला वकील द्वारा एक अनाम न्यायाधीश के खिलाफ लगाये गये आरोप का मसला आज प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम के समक्ष भी उठाया गया। यह मसला उठाने वाले वकील ने न्यायालय से अनुरोध किया कि अदालत को मीडिया की खबरों का स्वत: ही संज्ञान लेकर जांच शुरू करानी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष वकील मनोहर लाल शर्मा द्वारा यह मामला उठाये जाने पर न्यायाधीशों ने कहा कि हम इस तथ्य से अवगत हैं। न्यायालय ने इस मामले में कोई भी आदेश देने से इंकार कर दिया। शर्मा का कहना था कि यह बहुत गंभीर मसला है और भारतीय न्यायपालिका के मुखिया की हैसियत से प्रधान न्यायाधीश को इन आरोपों की जांच करानी चाहिए।
इस महिला ने इसी साल कोलकाता की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरीडिकल साइंस से स्नातक किया है। उसने कथित यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में अपने ब्लाग में लिखा है। जर्नल ऑफ इंडियन लॉ एंड सोसायटी के लिये 6 नवंबर को लिखे गये इस ब्लाग में महिला वकील ने कहा है कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के साथ उसके इंटर्न करने के दौरान यह घटना हुयी।
ब्लाग में लिखा गया है कि दिल्ली में उस समय यूनिवर्सिटी में मेरे अंतिम वर्ष के शीतकालीन अवकाश के दौरान मैं इंटर्न थी। मैं अपने अंतिम समेस्टर के दौरान अत्यधिक प्रतिष्ठित, हाल ही में सेवानिवृत्त हुये उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तहत काम कर रही थी। उनकी सहायता के लिये उनके पास पहुंचने के लिये मैने अथक श्रम किया और पुलिस की बाधाओं को चकमा दिया। ब्लाग में लिखा गया है कि मेरी कथित कर्मठता के पुरस्कार के रूप में मुझे यौन उत्पीड़न (शारीरिक नुकसान नहीं लेकिन हनन करने वाले) से एक वृद्ध व्यक्ति ने पुरस्कृत किया जो मेरे दादा की उम्र का था। मैं इस पीड़ादायक विवरण का जिक्र नहीं करूंगी लेकिन इतना जरूरी कहूंगी कि कमरे से बाहर निकलने के काफी बाद तक मेरी स्मृति में वह अनुभव रहा और वास्तव में आज भी है। कानून की इस स्नातक ने एक वेबसाइट को इंटरव्यू भी दिया है। उसका कहना है कि होटल के कमरे में न्यायाधीश ने उसका उत्पीड़न किया और इस घटना का कोई अन्य गवाह भी नहीं है।
‘लीगली इंडिया’ से बातचीत में इस युवा वकील ने कहा कि यह होटल का कमरा था, (लोगों ने) मुझे स्वेच्छा से जाते देखा, मुझे शांति के साथ बाहर निकलते भी देखा। मैं भय के साथ नहीं भागी। उस समय मुझे लगा कि मुझे शांति के साथ चलना चाहिए। मैंने उस दिन किसी से भी इसका जिक्र नहीं किया। इस महिला ने अपने ब्लाग में हादसे में इस घटना की तारीख का जिक्र नहीं किया लेकिन वेबसाइट को दिये इंटरव्यू में कहा कि यह पिछले साल 24 दिसंबर को हुआ था।
ब्लाग के अनुसार, ‘जैसा पहले कहा गया है मेरी दिल में उस व्यक्ति के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है और न ही उसके जीवन भर के काम और प्रतिष्ठा को दांव पर लगाना चाहती हूं। इसके विपरीत, मुझे लगा कि यह मेरी जिम्मेदारी है कि दूसरी युवा लड़कियां इस तरह की परिस्थिति में न पड़े। लेकिन मै इसका समाधान खोजने में विफल रही।’
इस महिला के अनुसार, ‘एक लड़की को मैं जानती हूं जिसका लगातार यौन उत्पीड़न हुआ और इसकी वजह से उसे अपने काम में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।’ अंत में इस महिला ने सवाल किया है कि यौन हिंसा का सामना करते समय क्या हम गुस्से से आगे जाकर अपनी भावनाओं को अंगीकार कर सकते हैं और इस तरह की घटनाओं का सामना करते समय भावनाओं की जटिलता स्वीकार करें।
घटना के लगभग एक साल बाद इसे उजागर करने के बारे में उसने अपने ब्लाग में लिखा कि हालांकि इस घटना से वह बेहद आहत हुयी और इस व्यक्ति पर थोड़ा क्रोध भी हुआ लेकिन उसे नफरत नहीं हुयी। इसकी बजाय वह इस बात से हतप्रभ और आहत थी कि एक व्यक्ति जिसकी वह इतनी इज्जत करती थी, उसने इस तरह की हरकत की। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 12, 2013, 11:35