Last Updated: Tuesday, December 31, 2013, 14:57

लंदन : बहुत कम लोगों को पता होगा कि कुछ रोगाणु ऐसे भी होते हैं, जो एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में आते ही सुसुप्ता अवस्था में चले जाते हैं, लेकिन बाद में फिर से सक्रिय हो जाते हैं। लेकिन एक हालिया शोध में ऐसे अड़ियल रोगाणुओं पर नियंत्रण पाने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल कर ली गई है।
यरुशलम के के हिब्रू विश्वविद्यालय में किए गए एक महत्वपूर्ण शोध में इस तरह के रोगाणुओं द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरक्षा हासिल करने वाली प्रणाली का पता लगा लिया गया है, जो इस तरह के रोगाणुओं पर नियंत्रण पाने में कारगर साबित हो सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, जब एंटीबायोटिक दवाएं इन रोगाणुओं पर हमले करती हैं, तो रोगाणुओं में प्राकृतिक रूप से मौजूद विषाक्त पदार्थ, हिपए, एंटीबायोटिक दवा के रसायन `संदेश` प्रणाली को नष्ट कर देता है, जो पोषक तत्वों द्वारा प्रोटीन के निर्माण के लिए जरूरी है। विज्ञान शोध पत्रिका `नेचर कम्युनिकेशंस` में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार, रोगाणु प्रोटीन के न बनने को `भूखे रहने` के संकेत के रूप में लेते हैं और सुसुप्तावस्था में चले जाते हैं। सुसुप्तावस्था में ये रोगाणु एंटीबायोटिक के प्रभावी रहने तक जीवित बचे रहते हैं, और एक बार एंटीबायोटिक का प्रभाव समाप्त होने के बाद पुन: सक्रिय हो जाते हैं। रैकाह भौतिकी संस्थान की नताली बलबन के साथ शोध करने वाली हिब्रू विश्वविद्यालय के औषधि विज्ञान संकाय की गडी ग्लेजर ने बताया कि जब आप एंटीबायोटिक से उपचार करते हैं, तो कुछ रोगाणु ऐसे होते हैं जो अपना अस्तित्व बचाने में सफल हो जाते हैं। अगर हम भविष्य में रोगाणुओं में मौजूद जैविक प्रणाली को नियंत्रित कर सकने वाला पदार्थ खोज सकें तो एंटीबायोटिक कहीं प्रभावी तरीके से अपना काम कर पाएंगे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 31, 2013, 14:57