मसूड़ों के जीवाणु से चल सकता है जातीय पहचान का पता

मसूड़ों के जीवाणु से चल सकता है जातीय पहचान का पता

मसूड़ों के जीवाणु से चल सकता है जातीय पहचान का पता  न्यूयॉर्क: मनुष्य के मुंह के जीवाणु, खासतौर से मसूड़ों के नीचे वाले जीवाणु, मनुष्य के फिंगरप्रिंट की तरह प्रभावशाली होते हैं। एक शोध में पाया गया कि इन जीवाणुओं से मनुष्य की जाति पहचानी जा सकती है। प्लोस वन जर्नल के नए अंक में यह शोध प्रकाशित हुआ है।

ओहियो स्टेट युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने चीनी, लातिन, श्वेत और गैर-हिस्पेनिक अश्वेतों- इन चार जातियों के 100 प्रतिभागियों के मुंह के लगभग 400 विभिन्न जीवाणुओं की प्रजातियों को अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने इन प्रतिाभागियों की लार, दांतों की सतह और मसूड़े के नीचे के जीवाणुओं के नमूने लिए।

शोधकर्ताओं ने शोध से यह पता लगाने की सोची थी कि कुछ इंसानों की कुछ जातियां, खासतौर से अफ्रीकी अमेरिकी और लातिन लोग मसूड़ों की बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील क्यों होते हैं।

कुमार ने बताया कि मसूड़ों के नीचे वाले जीवाणु जातीयता की पहचान के करीब होते हैं क्योंकि इन जीवाणुओं के भोजन, टूथपेस्ट और तम्बाकू जैसे पर्यावरणीय परिवर्तनों से प्रभावित होने की संभावना कम होती है।

ओहियो स्टेट युनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर और शोध की वरिष्ठ लेखक पूर्णिमा कुमार ने कहा कि यह पहली बार पता चला है कि जातीयता की पहचान करने वाले घटक इंसान के मुंह में भी मौजूद है।

उन्होंने बताया कि हम जानते हैं कि हमारा खाना और मुंह की सफाई की आदतें यह निर्धारित करती हैं कि बैक्टीरिया हमारे मुंह में जीवित रह सकते हैं या नहीं। इसीलिए दंत चिकित्सक हमें दांतों में ब्रश करने और साफ करने के लिए कहते हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 29, 2013, 08:51

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