Last Updated: Sunday, January 5, 2014, 10:14

चेन्नई : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ने शनिवार को कहा कि रविवार को होने वाले जीएसएलवी-डी5 प्रक्षेपण यान का परीक्षण यदि सफल रहता है तो न सिर्फ यह स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन की सफलता होगी बल्कि इससे अंतरिक्ष अनुसंधान में भारी बचत भी होगा। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने कहा, रविवार को यदि जीएसएलवी-डी5 का प्रक्षेपण सफल रहता है, तो स्पष्ट हो जाएगा कि देश में निर्मित क्रायोजेनिक इंजन ठीक तरह से काम कर रहा है। इतना ही नहीं यह देश में प्रौद्योगिकी के विकास का बहुत अहम पड़ाव होगा।
राधाकृष्णन ने आगे कहा कि इस अभियान की सफलता इसरो द्वारा संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों को अदा की जाने वाली कीमत में भारी बचत वाला साबित होगा। उन्होंने आगे बताया कि इतना ही नहीं, बल्कि इस प्रक्षेपण यान के जरिए ट्रांसपोर्डर क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक संचार उपग्रह प्रक्षेपित कर अधिक राजस्व भी इकट्ठा किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत को 3.5 टन के संचार उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये अदा करने पड़ते हैं, जबकि जीएसएलवी प्रक्षेपण यान द्वारा इसकी लागत 220 करोड़ रुपये ही आएगी। उन्होंने बताया कि रविवार को प्रक्षेपित किए जाने वाले उपग्रह जीसैट-14 के प्रक्षेपण पर 145 करोड़ रुपये की लागत आएगी। राधाकृष्णन ने बताया कि इसरो वर्तमान जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के जरिए कई संचार उपग्रह लांच करने की योजना पर काम कर रहा है।
राधाकृष्णन ने बताया, हम जीसैट-6, 7ए, 9 संचार उपग्रह को जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के जरिए लांच करने वाले हैं। हम अपने दूसरे चंद्रयान के लिए तथा जीसैट उपग्रह के लिए भी इसी प्रक्षेपण यान का उपयोग करने वाले हैं। ज्ञात हो कि इसरो द्वारा रविवार को प्रक्षेपित किए जाने वाले जीएसएलवी-डी5 प्रक्षेपण यान की उल्टी गिनती शनिवार की सुबह 11.18 पर शुरू हो गई। यह यान कक्षा संचार उपग्रह जीसैट-14 को लेकर जाएगा। इस यान का प्रक्षेपण रविवार को चेन्नई से 80 किलोमीटर दूर स्थित प्रक्षेपण स्थल से अपराह्न् 4.18 मिनट पर किया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 5, 2014, 10:12