मंगल की खोज में सहयोग करेंगे मंगल अभियान और मावेन

मंगल की खोज में सहयोग करेंगे मंगल अभियान और मावेन

मंगल की खोज में सहयोग करेंगे मंगल अभियान और मावेनचेन्नई: इसरो और नासा के मार्स ऑर्बिटर- मंगलयान और मावेन के अगले साल सितंबर में मंगल की कक्षा में पहुंच जाने के बाद ये दोनों अंतरिक्ष संगठन इनके संचालन में एक दूसरे के साथ समन्वय करेंगे।

इसरो के सूत्रों ने बताया कि अगर नासा का ऑर्बिटर मावेन और इसरो का मंगलयान सफल रहता है तो वे मंगल पर खोज और इस लाल ग्रह को बेहतर ढंग से समझने में एक दूसरे की मदद करेंगे। दोनों के ही यान वहां पहुंच जाने के बाद हम नासा के साथ समन्वय करेंगे। इस समय हमारा पूरा ध्यान मंगलयान को वहां पहुंचाने पर है। दोनों अभियानों के बीच का अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी नासा के यान के विपरीत मंगल ऑर्बिटर मिशन भारत की ओर से एक ‘छोटा और साधारण’ प्रयास है।

उन्होंने कहा कि नासा का मावेन अभियान 67.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर (4154.29 करोड़ रूपये) का है जबकि भारत का मंगल ऑबिर्टर अभियान सिर्फ 450 करोड़ रूपयों का है। उन्होंने यह भी कहा कि मावेन अपने साथ 8 वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है जबकि इसरो के अभियान में इनकी संख्या महज 5 है।

इसरो के सूत्रों ने कहा कि हमारा रख मुख्यत: अनुप्रयोगों पर आधारित है। इसलिए हम अनुसंधान पर ज्यादा खर्च नहीं करते। लेकिन यह विज्ञान के अन्वेषण के क्षेत्र में किए गए हमारे प्रयासों में से एक है। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने पहले संवाददाताओं को बताया था कि इसरो के मार्स ऑर्बिटर मिशन और नासा के मावेन के निष्कर्ष एक दूसरे का पूरक होंगे।

मंगल पर जाने वाले नासा के अंतरिक्ष यान मावेन (मार्स एटमॉस्फियर एंड वोलेटाइल इवाल्यूशन) को तड़के यूनाइटेड लॉन्च एलियांस एटलस वी 401 रॉकेट के जरिए फ्लोरिडा स्थित केप कानावेरल से लॉन्च किया गया।

नासा के मार्स स्काउट प्रोग्राम के तहत मावेन इसका दूसरा अभियान है। यह मंगल के उपरी परिमंडल की जटिल जानकारियां लाएगा, जिनकी मदद से मंगल के इतिहास में जलवायु परिवर्तन को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

मावेन के साथ जो 8 उपकरण गए हैं, वे हैं- न्यूट्रल गैस एंड आयन मास स्पेक्ट्रोमीटर, इमेजिंग अल्ट्रावॉयलेट स्पेक्ट्रोग्राफ, मैग्नेटोमीटर, सोलर विंड इलेक्ट्रॉन एनालाइजर, सुप्रा थर्मल एंड थर्मल आयन कंपोजिशन, लैंगमुइर प्रोब एंड वेव्ज एंटीना, सोलर एनर्जेटिक पार्टिकल्स और सोलर विंड आयन एनालाइजर।

कक्षा उन्नयन के पांच दांव सफलतापूर्वक पूरे कर लेने के बाद इसरो ने 1 दिसंबर को अंतरिक्ष यान के मंगल की कक्षा में पहुंचाने का जटिल कार्य करना है। यह अंतरिक्ष यान 10 माह की यात्रा के बाद 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचेगा। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 19, 2013, 15:12

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