Last Updated: Friday, March 7, 2014, 15:24

नई दिल्ली : पर्यटन के दौरान, कार्य के सिलसिले में यात्रा के दौरान और अन्य अवसरों पर जरूरत महसूस होने के बावजूद सार्वजनिक शौचालयों में गंदगी तथा संक्रमण के डर से जाने से बचने वाली महिलाओं को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आसानी से बैग में रखा जाने वाला, एक पोर्टेबल शौचालय उनकी इस समस्या को दूर कर सकता है।
यह पोर्टेबल शौचालय पेश करने वाले ‘फर्स्ट स्टेप प्रोजेक्ट्स’ के साझेदार दीप बजाज ने कहा कि महिलाओं के लिए शौचालय भारत में एक तरह से दु:स्वप्न की तरह हैं। वहां सफाई नहीं होती जिसके कारण संक्रामक बीमारियां होने का खतरा होता है। इसीलिए हमने ‘पी बडी’ पेश किया है जो भारत का पहला पोर्टेबल शौचालय है। इसे अन्य सामान की तरह आसानी से बैग में रखा जा सकता है। इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और यूनिसेफ द्वारा कल शाम स्वच्छता पर आयोजित एक गोलमेज बैठक में बजाज ने भी भाग लिया था।
‘पी बडी’ को पिछले साल दिसंबर में पेश किया गया था और इसकी मदद से महिलाएं मॉल, हवाईअड्डों, अस्पतालों, राजमार्गों, रेलवे स्टेशनों तथा मेट्रो के सार्वजनिक शौचालयों आदि में खड़े हो कर अपनी ‘समस्या को हल’ कर सकती है।
वाटरप्रूफ कोटिंग वाले कागज से बना यह पोर्टेबल शौचालय कीप यानी फनल के आकार का है और मोड़ कर छोटे से पर्स में भी रखा जा सकता है। यह उत्पाद 5, 10 या 20 के पैक में विभिन्न पोर्टल जैसे स्नैपडील, हेल्थकार्ट और फर्स्ट क्राई में क्रमश: 120, 200 और 350 रूपये में बेचा जा रहा है। बजाज ने बताया कि यह शौचालय उन महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी है जिन्हें काम के सिलसिले में लंबी दूरी का सफर करना पड़ता है, जो महिलाएं अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं, जो गर्भवती हैं और जो महिलाएं गंदे सार्वजनिक शौचालय में नहीं जाना चाहतीं।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक पेशाब रोके रखने की वजह से गुर्दे में समस्या होने की भी आशंका होती है। गंदे शौचालयों में जाने से पेशाब की नलिका (यूरिनरी ट्रैक्ट) में संक्रमण की आशंका भी होती है। एक बार संक्रमण होने पर लंबे समय तक इलाज कराना पड़ता है और एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ती हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 7, 2014, 15:24