Last Updated: Friday, March 21, 2014, 11:33
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नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में स्कूली छात्रों ने वासंतिक विषुव या वसंत के प्रथम दिन को खगोलीय वेधशाला जंतर मंतर में पृथ्वी के विस्तार को मापकर मनाया। भारत में विज्ञान और खगोल पर्यटन के विकास की दिशा में काम करने वाले संगठन ‘स्पेस’ ने आज के दिन को जंतर मंतर में ‘प्रोजेक्ट परिधि’ के तहत स्कूली छात्रों और आम जनता के साथ मनाया।
11 स्कूलों के तकरीबन 55 प्रतिभागियों ने सूर्य के कोण का पता लगाने और पृथ्वी की परिधि का आकलन करने के लिए सूर्य द्वारा बनाई गई छाया की वास्तविक माप ली। स्पेस के एक अधिकारी ने बताया कि यह परियोजना स्पेस ने चार साल पहले भारतीयों में इस बात के प्रति जागरकता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की थी कि विज्ञान को बिना किसी जटिल उपकरण के भी किया जा सकता है।
अधिकारी ने कहा कि हमारे विरासत स्थल जंतर मंतर में की गई इस परियोजना की मदद से स्पेस ने इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह के भारतीय स्मारकों का इस्तेमाल इस बात को दिखाने और विज्ञान में आम जनता की दिलचस्पी पैदा करने के औजार के रूप में किया जा सकता है। विषुव साल में दो बार :अमूमन 20 मार्च और 22 सितंबर को: होता है, जब पृथ्वी की विषुवत रेखा की सतह सूर्य के केंद्र को पार करती है। इक्विनोक्स शब्द लैटिन के एक्वुअस (बराबर) और नॉक्स (रात) से बना है। इक्विनोक्स के आस-पास दिन और रात तकरीबन समान अवधि की होती है क्योंकि सूर्य की किरणें सीधी विषुवत रेखा पर पड़ती हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 21, 2014, 11:33