बांग्लादेश की तिब्बती-बर्मी आबादी के वंशज थे भारतीय

बांग्लादेश की तिब्बती-बर्मी आबादी के वंशज थे भारतीय

बांग्लादेश की तिब्बती-बर्मी आबादी के वंशज थे भारतीयहैदराबाद : एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बांग्लादेश की तिब्बती-बर्मी आबादी में पूर्वोत्तर भारतीयों या दक्षिण पूर्वी एशियाई तिब्ब्ती-बर्मी बोलने वाले लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा भारतीय वंशज होने के गुण हैं।

सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के कुमारासामी थंगाराज ने कहा, ‘हमने बांग्लादेश की उन तीन बड़ी आदिवासी आबादी (चकमा, मरमा और त्रिपुरा) का विस्तृत विश्लेषण किया, जो तिब्बती-बर्मी भाषा बोलते हैं। इसके बाद हमने उनकी तुलना भारत और दक्षिणपूर्व एशिया के आंकड़ों से की।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पाया कि बांग्लादेश की तिब्बती-बर्मी आबादी में भारत के वंशज होने का अंश पूर्वोत्तर भारतीयों या दक्षिण पूर्वी एशियाई तिब्बती-बर्मी की तुलना में कहीं ज्यादा था।’

थांगराज के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने ढाका विश्वविद्यालय के नुरून नाहर गाजी सुल्ताना और उनके दल के साथ बांग्लादेशी आदिवासी आबादी के मूल और विवाह संबंधों का अध्ययन किया। यह अध्ययन पहली बार सभी आनुवांशिक माध्यमों (एमटीडीएनए, वाई क्रोमोसोम और ऑटोसोम) का इस्तेमाल करके किया गया है। इनका इस्तेमाल अक्सर जनसंख्या आधारित अध्ययनों में किया जाता है।

बांग्लादेश का पश्चिमी हिस्सा भारत के पूर्वी भाग से लगता है और इसका उत्तरी एवं पूर्वी हिस्सा पूर्वोत्तर भारत से सटा है। यह दक्षिण पूर्वी किनारे से म्यामां से भी सटा है। सीसीएमबी के निदेशक मोहन राव ने कहा, ‘इस तरह के समग्र अध्ययन हमेशा पुराने समय में हुए मानवीय प्रवासों में भारतीय लोगों की भूमिका का पता लगाने में उपयोगी रहे हैं।’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 16, 2013, 11:44

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