Last Updated: Monday, December 30, 2013, 11:49
वाराणसी : थायरॉयड पहले एक खास उम्र की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब भाग-दौड़ भरी जिंदगी व खान-पान पर ध्यान नहीं दिए जाने के चलते युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। खासकर युवतियां तेजी से इस बीमारी का शिकार हो रही हैं।
वाराणसी जिला महिला अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. के.पी. शुक्ला के मुताबिक, थॉयरायड को साइलेंट बीमारी माना जाता है, क्योंकि पीड़ित को तकलीफ बढ़ने से पहले इसका अहसास नहीं हो पाता। डा. शुक्ला ने बताया कि थायरॉयड गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जिसमें से हार्मोन का स्राव होता है जो विभिन्न कोशिकाओं को ऊर्जा देता है। यदि ग्रंथि से कम व ज्यादा हार्मोन का स्राव होने लगता है तो मरीज थायरॉयड पीड़ित माना जाता है।
उन्होंने बताया कि हाइपोथॉयरायडिज्म के लक्षण निम्न रक्तचाप, थकान, काम में मन नहीं लगना, शरीर में दर्द, कब्ज आदि है। उन्होंने बताया कि जब शरीर में हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है तो महिलाओं का गर्भधारण करना भी कठिन हो जाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें मोटापे की समस्या भी होने लगती है। जब तक थॉयरायड को नियंत्रित नहीं किया जाता, इस समस्या का निदान संभव नहीं है। खून की जांच से इस बीमारी का पता चलता है और चिकित्सक से सलाह लेकर एक निश्चित अवधि तक दवा का सेवन करने से मरीज को आराम हो जाता है।
डा. शुक्ला ने के मुताबिक, अनियमित दिनर्चया के साथ खान-पान इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग व्यायाम करना भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि इस कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयोडीन व प्रोटीन नहीं मिल पाता है, रही-सही कसर फास्ट फूड कल्चर ने पैदा कर दी है। उन्होंने बताया कि अमूमन पहले यह बीमारी बढ़ी उम्र की महिलाओं और पुरुषों में होती थी, लेकिन अब तो 14 से 15 साल की किशोरियां भी थॉयरायड से पीड़ित हो रही हैं जो भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 30, 2013, 11:49