क्रिकेट से संन्यास के बाद संसद में भी यादगार पारी खेलेंगे सचिन!

क्रिकेट से संन्यास के बाद संसद में भी यादगार पारी खेलेंगे सचिन!

क्रिकेट से संन्यास के बाद संसद में भी यादगार पारी खेलेंगे सचिन!नई दिल्ली : क्रिकेट के मैदान पर बेशुमार रिकॉर्ड बना चुके सचिन तेंदुलकर से राज्यसभा सांसदों को उम्मीद है कि अगले महीने खेल को अलविदा कहने के बाद वह संसद के उच्च सदन में भी यादगार पारी खेलेंगे। सचिन तेंदुलकर को फिल्म अभिनेत्री रेखा और व्यवसायी अनु आगा के साथ इस साल अप्रैल में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उन्होंने राज्यसभा में पदार्पण किया लेकिन तेलंगाना और बोडोलैंड को पृथक राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर कार्यवाही ज्यादा देर चल नहीं सकी थी। संसद में जितने भी मौकों पर वह आए, खामोश ही रहे।

राज्यसभा में सचिन के करीब बैठने वाले वरिष्ठ पत्रकार एच के दुआ ने उम्मीद जताई कि क्रिकेट से संन्यास के बाद सचिन बतौर सांसद सक्रिय होंगे। दुआ ने कहा, अभी तक सचिन ने राज्यसभा की कार्यवाही में कोई रूचि नहीं दिखाई है। उम्मीद है कि वह क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद बतौर सांसद भी सक्रिय होंगे। आम तौर पर वह सदन में खामोश ही नजर आये हैं।
सचिन के करीबी महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य और 2004 से 2009 तक योजना आयोग में खेल के प्रभारी रहे भालचंद्र मूंगेकर ने कहा, मैंने सचिन को खेल नीति का अध्ययन करने और अपने सुझाव देने की सलाह दी है। उन्होंने इसमें काफी रूचि दिखाई है और उम्मीद है कि वह संसद में क्रिकेट और खेल से जुड़े मसलों पर सक्रिय भूमिका निभायेंगे। वहीं राज्यसभा में सचिन के अलावा एकमात्र खिलाड़ी पूर्व हॉकी कप्तान दिलीप टिर्की को यकीन है कि संसद में भी इस महान क्रिकेटर की पारी यादगार होगी।

टिर्की ने कहा, सचिन बहुत बड़े खिलाड़ी है और अगर वह राज्यसभा में आये हैं तो कुछ सोचकर ही आये होंगे। मुझे पूरा यकीन है कि खेल से फुर्सत मिलने के बाद वह संसद को समय देंगे और बहुत अच्छे सांसद साबित होंगे। उन्होंने कहा, खिलाड़ियों को शुरू में संसद में सब कुछ नया और अजीब लगता है लेकिन प्रक्रिया समझ में आने के बाद रूचि बनने लगती है। उम्मीद है कि वह क्रिकेट और खेल से जुड़े मसलों पर अपनी राय रखेंगे। सचिन ने हालांकि यूनिवर्सिटी स्तर पर देश में खेलों का बुनियादी ढांचा सुधारने और खेलों में नयी प्रतिभाओं की तलाश के लिये सरकार को ‘विजन एजुकेशन 2020 ’ दस्तावेज दिया था जो सरकारी अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण धूल खा रहा है।

सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर से कॉलेज में मराठी सीख चुके मूंगेकर ने कहा कि संसद में सचिन का आचरण काबिले तारीफ रहा है। उन्होंने कहा, भले ही उन्होंने अभी तक संसद में कुछ बोला नहीं लेकिन उनका रवैया, विनम्रता और सादगी काबिले तारीफ है। जिस प्रतिबद्धता और लगन से उन्होंने क्रिकेट खेली है, वही संसद में भी उनकी पारी में नजर आएगी। तेंदुलकर ने राज्यसभा के सदस्य के तौर पर शपथ लेने के बाद संकेत दिया था कि क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद वह बतौर सांसद सक्रिय होंगे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 15, 2013, 13:57

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