रक्षात्मक कप्तान हैं धोनी, टेस्ट में बदलाव जरूरी : अमरनाथ

रक्षात्मक कप्तान हैं धोनी, टेस्ट में बदलाव जरूरी : अमरनाथ

रक्षात्मक कप्तान हैं धोनी, टेस्ट में बदलाव जरूरी : अमरनाथनई दिल्ली : न्यूजीलैंड में वनडे और टेस्ट श्रृंखला हारने वाले भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के रक्षात्मक रवैये की आलोचना करते हुए पूर्व टेस्ट क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने आज कहा कि उनका प्रदर्शन सिर्फ उपमहाद्वीप में अच्छा रहा है और अब टेस्ट टीम की बागडोर किसी और को सौंपना जरूरी है।

भारत को दक्षिण अफ्रीका दौरे के बाद न्यूजीलैंड में भी वनडे (4-0) और टेस्ट (1-0) श्रृंखला में पराजय झेलनी पड़ी। दोनों दौरों पर भारत एक भी मैच नहीं जीत सका जिससे उपमहाद्वीप के बाहर टीम के खराब प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे हैं। अमरनाथ ने कहा, ‘धोनी काफी रक्षात्मक कप्तान हैं जो विरोधी टीम को हावी होने का मौका देते हैं। उनका रिकार्ड सिर्फ घरेलू पिचों पर अच्छा है जो लगभग हर भारतीय कप्तान का रहा है। विदेश में अच्छे प्रदर्शन के लिये कप्तान में आक्रामकता चाहिये जैसी मंसूर अली खान पटौदी में थी।’ धोनी ने उपमहाद्वीप के बाहर बतौर कप्तान 23 टेस्ट में से सिर्फ पांच जीते जबकि 11 गंवाये और सात ड्रा रहे।

भारत की विश्व कप 1983 की जीत के नायक अमरनाथ ने कहा, ‘दुनिया की किसी भी टेस्ट टीम का कप्तान सातवें नंबर पर बल्लेबाजी नहीं करता। आप क्या मिसाल पेश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि टेस्ट टीम में तो कप्तानी में बदलाव की सख्त जरूरत है। धोनी वनडे क्रिकेट में मैच विनर बल्लेबाज हैं, इसमें कोई शक नहीं लेकिन वनडे में भी भावी कप्तान की तलाश शुरू हो जानी चाहिये।’

यह पूछने पर कि वह भावी टेस्ट कप्तान के रूप में किसे देखते हैं, पूर्व चयनकर्ता अमरनाथ ने कहा, ‘गौतम गंभीर के पास अनुभव था लेकिन फिलहाल वह टीम से बाहर हैं। विराट कोहली भी अच्छा विकल्प है। मुझे लगता है कि अलग-अलग प्रारूप में अलग कप्तान होने चाहिये।’ उन्होंने टीम के लिये भारतीय कोच की नियुक्ति की पैरवी करते हुए कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि जब डंकन फ्लेचर अच्छे नतीजे नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें रखने का क्या फायदा। हर कोई खिलाड़ियों के मीनमेख निकाल रहा है लेकिन कोच और सहयोगी स्टाफ से सवाल क्यों नहीं किये जाते। मुझे लगता है कि टीम का कोच भारतीय होना चाहिए।’

न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में खराब प्रदर्शन के लिये उन्होंने बल्लेबाजों की खराब तकनीक और अभ्यास मैचों के अभाव को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, ‘हमारे बल्लेबाजों को उपमहाद्वीप से बाहर खुद को ढालने में दिक्कत आ रही है और इसके लिये उनकी खराब तकनीक जिम्मेदार है। वे उसी तरह से खेलते रहे जैसे उपमहाद्वीप में खेलते हैं लेकिन अनुभव के साथ वे सीखेंगे। फिलहाल तो विराट को छोड़कर कोई प्रभावित नहीं कर सका। विराट का फुटवर्क, तकनीक बेजोड़ था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हर विदेश दौरे से पहले कुछ अ5यास मैच जरूर होने चाहिये ताकि टीम वहां के हालात में खुद को बखूबी ढाल सके। अभ्यास मैचों का अभाव भी इन दौरों पर विफलता का कारण रहा।’ यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है कि अगले साल आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में होने वाले विश्व कप से पहले टीम में बदलाव जरूरी है, उन्होंने कहा कि हालात के अनुरूप टीम का चयन होना चाहिये।

अमरनाथ ने कहा, ‘उन खिलाड़ियों को चुनना चाहिये जो वहां रन बना सके या विकेट ले सके। जरूरी नहीं कि जो भारत में कामयाब हों, वे वहां भी चले। फिटनेस, अनुभव और फार्म के अलावा खेलने की परिस्थिति को भी ध्यान में रखकर टीम चुननी चाहिये।’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, February 19, 2014, 14:57

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