Last Updated: Sunday, June 8, 2014, 15:24

पेरिस : रूसी स्टार मारिया शारापोवा ने रोलां गैरो की लाल बजरी पर अपना दूसरा फ्रेंच ओपन खिताब हासिल किया जिसे जीतने के बाद उनके पास इस खुशी को बयां करने के लिये शब्द नहीं थे। शारापोवा ने कल रोमानिया की सिमोना हालेप पर 6-4, 6-7(5-7), 6-4 से जीत दर्ज की, जिससे वह क्लेकोर्ट की महान खिलाड़ी बन गयी हैं।
मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अचरज में हैं तो उन्होंने जवाब दिया, ‘इस बात पर मैं तुम्हारे साथ हूं। अगर किसी ने मुझे बताया होता कि मैं किसी अन्य ग्रैंडस्लैम से ज्यादा रोलां गैरो खिताब जीतूंगी तो मैं शायद नशा कर लेती। या फिर उन्हें नशा करने के लिए कहती, इनमें से एक चीज होती।’
शारापोवा ने कहा, ‘यह सचमुच शानदार है। मुझे लगता है कि मैंने यहां तक पहुंचने के लिये मेहनत की है। इससे ज्यादा कुछ नहीं है। इन खिताबों को जीतने का कोई और विकल्प नहीं है। आप कोर्ट पर जाकर बिना प्रयास के जीत दर्ज नहीं कर सकते, आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।’
शारापोवा ने कहा, ‘आप क्लेकोर्ट पर खेलने के लिये नहीं जन्में। हां, अगर आप राफेल नडाल हो तो बात अलग है। लेकिन निश्चित तौर पर मैं नहीं। मैं इस कोर्ट पर खेलते हुए बड़ी नहीं हुई, मैं इस पर नहीं खेलती। मैं सिर्फ खुद को इस पर बेहतर करने की कोशिश करती हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे लिये कोई और मेहनत नहीं कर सकता। मुझे खुद ही मेहनत करनी होगी।’ शारापोवा जब 17 साल की थी उन्होंने 2004 विम्बलडन में अपना पहला ग्रैंडस्लैम जीता था, जिसके बाद उन्होंने 2006 में यूएस ओपन अपने नाम
किया था।
विश्व रैंकिंग में पहला स्थान और 2008 में आस्ट्रेलियन ओपन में जीत ने उन्हें खेल में सबसे ज्यादा बिकने वाले नामों में से एक बना दिया। वह सुखिर्यों में रही, लेकिन उनकी फार्म में गिरावट आ गयी और कंधे की चोट से उन्हें लंबे समय तक टेनिस से बाहर कर दिया। लेकिन 2012 में अपना पहला फ्रेंच ओपन खिताब जीतने के साथ वह ओपन युग में करियर में सभी चारों ग्रैंडस्लैम जीतने वाली सातवीं महिला खिलाड़ी बन गयी।
उन्होंने अपना पांचवां ग्रैंडस्लैम हासिल किया, जिससे वह मार्टिना हिंगिस के बराबर पहुंच गयी। उन्होंने कहा, ‘अपने पहली ग्रैंडस्लैम खिताबी जीत के बाद यहां बैठना शानदार लग रहा है और यह सोचना कि अब मेरे पास पांच ग्रैंडस्लैम ट्राफियां हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 8, 2014, 15:24