Last Updated: Sunday, December 29, 2013, 20:49
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर खिलाड़ियों की उम्र तय करे या फिर विश्वसनीय दस्तावेजी साक्ष्य की गैरमौजूदगी में आयु के निर्धारण के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाए।
अधिक आयु के कारण बीसीसीआई द्वारा अंडर-16 क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलने से रोके गए यश सहरावत और आर्यन सहरावत की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति वीके जैन ने टेनर वाइटहाउस 3 (टीडब्ल्यू-3) तरीके को खारिज कर दिया जिसका इस्तेमाल बीसीसीआई ने टूर्नामेंट में आयु निर्धारण के लिए किया था।
अदालत ने बीसीसीआई को निर्देश दिया कि वह दस्तावेजों की वास्तविकता और विश्वसनीयता की पुष्टि करे जिसे याचिकाकर्ता ने अपने जन्म तिथि के साक्ष्य के रूप में जमा कराया है। अदालत ने इसकी पुष्ट करने के लिए बोर्ड को चार हफ्ते का समय दिया है।
अदालत ने कहा, ‘अगर पुष्टि करने पर प्रतिवादी (बीसीसीआई और दिल्ली जिला क्रिकेट संघ) को पता चलता है कि दस्तावेज वास्तविक हैं तो वे याचिकाकर्ता की जन्म तिथि को अपने डाटाबेस में रिकार्ड करे और इसी के आधार पर उन टूर्नामेंट में उनके खेलने पर विचार करें जिसमें भाग लेने के वे पात्र हैं।’
बीसीसीआई ने इन दोनों की आयु निर्धारण के लिए नयी दिल्ली के पोर्टिस अस्पताल में टीडब्ल्यू3 प्रणाली का सहारा लिया था। इस प्रणाली के मुताबिक इन दोनों की आयु 16 वर्ष से अधिक पाई गई और इन्हें टूर्नामेंट के लिए अयोग्य पाया गया। बीसीसीआई ने जिस तरह दस्तावेजी साक्ष्यों को खारिज किया उस पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने विभिन्न आदेशों का संदर्भ दिया और कहा कि आयु निर्धारण के ऐसे किसी दस्तावेज की गैरमौजूदगी में अन्य कोई वैग्यानिक तरीका अपनाया जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 29, 2013, 20:49