Last Updated: Wednesday, November 13, 2013, 13:51

मुंबई : भारत की सबसे बड़ी खेल हस्ती और आधुनिक क्रिकेट के महान नायक सचिन तेंदुलकर कल यहां जब वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी और 200वां टेस्ट मैच खेलने के लिये मैदान पर कदम रखेंगे तो चारों तरफ भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा होगा।
यह भले ही दो टीमों के बीच का मुकाबला है कि लेकिन सभी की निगाहें उस इंसान पर टिकी रहेंगी जो पिछले 24 साल के अपने चमकदार करियर में जीवंत किवदंती बन गये। तेंदुलकर पिछले दो दशक से भी अधिक समय से भारत में इस खेल के पर्यायवाची हैं और क्रिकेट जगत में उनके नाम की दहशत भी बनी रही तो उन्हें खूब तारीफें भी मिली। अविश्वसनीय प्रतिभा के धनी तेंदुलकर ने 1989 में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने से लेकर हमेशा क्रिकेट के मैदान और अपने प्रशंसकों के दिलों में राज किया। उनका दबदबा इस तरह का रहा कि इन दोनों स्थानों पर उनकी कमी खलेगी।
कोलकाता में पहला टेस्ट मैच पारी और 51 रन से जीतने के बाद भारतीय टीम अब तेंदुलकर को जीत के साथ शानदार विदाई देने पर ध्यान दे रही है। टीम और उसका सबसे सीनियर खिलाड़ी की निगाह वानखेड़े स्टेडियम में भी वेस्टइंडीज की औसत दर्जे की टीम पर बड़ी जीत दर्ज करने पर लगी हैं। लेकिन अगले कुछ दिनों तक स्कोर और आंकड़ों का महत्व कम रहेगा क्योंकि देश अपने महानतम और सबसे बड़ी खेल हस्ती को विदाई देने के लिये तैयार है।
सर डान ब्रैडमैन ने 1948 में जब ओवल में संन्यास लिया था तो उनके योगदान को याद किया गया लेकिन एक शानदार करियर के लिये समारोह जैसा माहौल नहीं था लेकिन आज क्रिकेट जगत में नंबर चार पर बल्लेबाजी करने वाले सबसे बड़े क्रिकेटर की विदाई से हर कोई जुड़ा है और दुआ कर रहा है कि उनकी विदाई शानदार हो।
तेंदुलकर भी अपने दोस्तों और परिजनों के सामने ऐसी पारी खेलकर विदाई लेना चाहेंगे जो आने वाले वषरें में सभी की जेहन में बनी रहे। कोलकाता में पहले टेस्ट मैच में अंपायर निजेल लांग के गलत फैसले का शिकार बनने वाले तेंदुलकर को उम्मीद रहेगी कि जब वह वानखेड़े में आखिरी बार बल्लेबाजी के लिये उतरेंगे तो शेन शिलिंगफोर्ड या टिनो बेस्ट में से कोई ऐसा नहीं करेगा जैसा कि वषरें पहले एरिक होलीज ने ब्रैडमैन के साथ किया था।
ब्रैडमैन अपनी आखिरी पारी में बिना खाता खोले होलीज की गुगली पर बोल्ड हो गये थे और यह देखना दिलचस्प होगा कि पिछले कुछ दिनों से उनके विदाई को लेकर बने माहौल के बीच 40 वर्षीय तेंदुलकर खुद की भावनाओं पर कैसे काबू रख पाते हैं। वह ग्रेग चैपल, अरविंद डिसिल्वा और बिल पोंसफोर्ड की तरह बड़ा शतक लगाकर अपने करियर का अंत करना चाहेंगे। तेंदुलकर को ऐसे गेंदबाजी आक्रमण का सामना करना है जिसमें एक अच्छा स्पिनर और औसत दर्जे के मध्यम गति के गेंदबाज हैं।
वेस्टइंडीज की आक्रमण के अगुआ केमार रोच चोटिल होने के कारण स्वदेश लौट गये है। लेकिन ढाई दशक तक शीर्ष पर रहने के बाद मन भले ही करे लेकिन शरीर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की कड़ी परीक्षा में पूरी तरह से खरा नहीं उतर पाता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 13, 2013, 13:51