खेल प्रेमियों के लिये हमेशा ‘क्रिकेट के भगवान’ रहेंगे तेंदुलकर

खेल प्रेमियों के लिये हमेशा ‘क्रिकेट के भगवान’ रहेंगे तेंदुलकर

खेल प्रेमियों के लिये हमेशा ‘क्रिकेट के भगवान’ रहेंगे तेंदुलकर नई दिल्ली : ‘क्रिकेट के भगवान’ ने खेल से संन्यास लेने की घोषणा कर दी जिसके बाद क्रिकेट को लंबे समय तक उनकी जगह भरने के लिये कोई अन्य खिलाड़ी नहीं मिलने वाला है।

सचिन तेंदुलकर ने अपने लंबे करियर में गेंदबाजों को दिन में तारे दिखाये हैं, उन्होंने अपने साथी बल्लेबाजों को उनकी तरह बनने की प्रेरणा दी और अंपायरों को यह भूलने में मदद की कि पूरे दिन मैदान में खड़े होना कितना थकाउ होता है। भारत के इस महान बल्लेबाज ने अगले महीने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना 200वां टेस्ट मैच खेलने के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया है।

साढ़े पांच फुट के तेंदुलकर मैदान पर भले ही भारी भरकम नहीं दिखते हो लेकिन वह विशाल व्यक्तित्व की तरह क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं। उन्होंने 24 साल तक क्रिकेट पर शासन किया। उनके लिये यह दौर किसी तपस्या से कम नहीं था। उन्होंने अपने करोड़ों प्रशंसकों कितनी ही भावनात्मक और सुखद यादें दी हैं।

नाटे कद के इस खिलाड़ी ने रनों का इतना पहाड़ खड़ा कर दिया है जिससे दुनिया भर के आंकड़ेविद हमेशा व्यस्त रहे। तेंदुलकर के संन्यास से इतना भारी निर्वात उत्पन्न होगा कि कोई भी आसानी से कह सकता है कि अब क्रिकेट दोबारा इस तरह का नहीं होगा जैसा उनके युग में रहा था।

रिकार्ड के तौर पर उनके 198 टेस्ट में अब तक 53.86 के औसत से 15,837 रन बन चुके हैं, यह उपलब्धि इतनी बड़ी है कि फिलहाल कोई भी समकालीन या कोई भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी निकट भविष्य या लंबे समय में इसे पीछे छोड़ने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। तेंदुलकर ने कामचलाउ गेंदबाज के रूप में 3.51 के इकोनोमी रेट से 45 विकेट हासिल किये हैं। इस महान धुरंधर का क्रिकेट सफर 1989 में शुरू हुआ, जब वह केवल 16 साल के थे।

जब वह मैदान पर उतरे तो उनकी मोहक मुस्कान, घुंघराले बाल, स्थिर आंखे और अभूतपूर्व प्रतिभा देखते ही बनती थी। उन्होंने पाकिस्तान के खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत की थी जिसमें वसीम अकरम और वकार यूनिस की खौफनाक जोड़ी शामिल थी। इमरान खान ने बाद में कहा था कि जब उन्होंने पहली बार तेंदुलकर के लिये गेंदबाजी की तो उनका मासूम चेहरा देखकर उन पर दया आयी लेकिन इसके बाद मुझे दुनिया भर के गेंदबाजों पर दया आयी।

तेंदुलकर ने चेहरे पर चोट लगने के बावजूद खून से भरी टीशर्ट पहने हुए ही बल्लेबाजी जारी रखी थी और शुरू में ही अपने मजबूत जज्बे का नजारा पेश कर दिया था। यही दृढ़ता तेंदुलकर के व्यक्तित्व को बयां करती हैं जिसके आगे दुनिया के दिग्गज गेंदबाज उनकी प्रतिभा और जज्बे के कायल हो गये तथा उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते। उनका विकेट हासिल करना इन सभी के लिये सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और उपलब्धि की तरह बन गया और वे इसे अपने नाम कर काफी खुशी भी महसूस करते।

ऐसा बल्लेबाज जिसमें महान सर डान ब्रैडमैन को खुद की छवि दिखती, उसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शीर्ष रन स्कोरर के तौर पर क्रिकेट को अलविदा कहा। वह वनडे से पहले ही संन्यास ले चुके थे। वनडे सफर के अंत में इस 40 वर्षीय महान खिलाड़ी ने 463 मैचों में 44.83 के औसत से 18,426 रन बनाये थे। मुंबई के इस दायें हाथ के बल्लेबाज को दुनिया में उनके प्रशंसक प्यार से ‘लिटिल मास्टर’ और ‘मास्टर ब्लास्टर’ पुकारते हैं।

तेंदुलकर को अपने चमकदार करियर में काफी उतार चढ़ाव से भी गुजरना पड़ा है लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें ब्रैडमैन के बाद खेल के महानतम खिलाड़ी के रूप में याद किया जायेगा। वह एकमात्र बल्लेबाज हैं जिनके नाम 100 अंतरराष्ट्रीय शतक - टेस्ट में 51 और वनडे में 49 - दर्ज हैं। कप्तान के तौर पर हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली और इस दौरान वह भारतीय बल्लेबाजी का पूरा भार नहीं उठा पाये। यह वह दौर था जब उनका विकेट गिरते ही टीम का पतन शुरू हो जाता था। हालांकि यह दबाव तब थोड़ा कम हुआ जब सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे धुरंधर आये।

हाल में जब भारतीय टीम को पिछले साल इंग्लैंड के हाथों टेस्ट और वनडे में वाइटवाश का मुंह देखना पड़ा था, तब वह लचर फार्म में थे और उम्मीदों के दबाव में आस्ट्रेलिया दौरा ‘भयावह’ साबित हुआ। लेकिन तेंदुलकर डटे रहे और सुनिश्चित किया कि वह अपनी ही शर्तों पर क्रिकेट को अलविदा कहेंगे।

क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों का प्रभाव मैदान के बाहर भी दिखा। पिछले साल उन्होंने राज्यसभा का सदस्य बनकर एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की। संन्यास लेने के बाद अब उनके संसद में अधिक सक्रिय सदस्य के रूप में दिखने की संभावना है। वह पहले ही भारत में खेल परिदृश्य में सुधार के प्रति इच्छा जाहिर कर चुके हैं।

लेकिन कोई भी चीज उनके उस जज्बे को नहीं पछाड़ सकती जो वह क्रिकेट मैदान पर विपक्षी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाकर और प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध करके दिखाते थे। दो दशक के लंबे करियर में रिकार्ड तो तेंदुलकर के लिये ‘रूटिन’ की तरह थे, लेकिन क्रिकेट जगत के लिये उनका प्रत्येक रन उनकी महानता में जुड़ता रहा।

तेंदुलकर ने पहला शतक 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में बनाया था । वह वनडे में दोहरा शतक जमाने वाले पहले बल्लेबाज हैं । उन्होंने फरवरी 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यह कारनामा किया था । उसे टाइम पत्रिका ने खेल जगत के दस सर्वश्रेष्ठ पलों में शामिल किया था । उन्हें सबसे बड़ी प्रशंसा 1999 में सर डान ब्रैडमैन से मिली जिन्होंने कहा था कि तेंदुलकर की शैली उनके जैसी है ।

तेंदुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट में 154 विकेट भी चटकाए। उन्हें देश के अच्छे क्षेत्ररक्षकों में से एक माना जाता है और उनके नाम पर टेस्ट क्रिकेट में 114 जबकि एकदिवसीय क्रिकेट में 140 कैच दर्ज हैं। (एजेंसी)











First Published: Thursday, October 10, 2013, 18:06

comments powered by Disqus