Last Updated: Sunday, December 8, 2013, 20:59
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से अल्टीमेटम मिलने के बाद कोई विकल्प नहीं रहने के कारण भारतीय ओलंपिक संघ ने आज अपने संविधान में संशोधन करके आरोपी व्यक्तियों को चुनावों में लड़ने से रोक दिया। इससे भारत का ओलंपिक में लौटने का रास्ता भी साफ हो गया। आईओसी के निर्देशों पर आईओए संविधान में संशोधन करने का फैसला आज यहां विशेष आम सभा की बैठक में किया गया। विश्व संस्था ने पिछले महीने अल्टीमेटम दिया था कि यदि आरोपी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोका गया तो वह भारत की मान्यता समाप्त कर देगा। आईओसी ने साफ कर दिया था कि दस दिसंबर से पहले संशोधन करना जरूरी है और ऐसा नहीं होने पर वह आईओसी कार्यकारी बोर्ड में भारत की मान्यता समाप्त करने की सिफारिश करेगा। कार्यकारी बोर्ड की 10 और 11 दिसंबर को बैठक होनी है। विशेष आम सभा की बैठक की अध्यक्षता करने वाले एस रघुनाथन ने कहा कि निलंबित आईओए के अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला और महासचिव ललित भनोट नौ फरवरी को होने वाले आईओए चुनावों में भाग नहीं ले पाएंगे। अदालत ने इन दोनों को आरोपी ठहरा रखा है। आज की बैठक में 134 सदस्यों ने हिस्सा लिया। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘बैठक में आईओए के संविधान के उस संबंधित धारा में संशोधन करने का सर्वसम्मत फैसला किया गया जिससे आरोपी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोका जा सके। चौटाला और भनोट दोनों ने कहा कि वे आगामी चुनावों में भाग नहीं लेंगे। असल में चौटाला ने संशोधन का प्रस्ताव रखा और भनोट ने उसका अनुमोदन किया।’ उन्होंने कहा, ‘हमने नौ फरवरी को चुनाव करवाने का फैसला भी किया है।’
संशोधित धारा में कहा गया है, ‘भारत की किसी अदालत में आरोप लगने जैसे कि भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत आने वाले गंभीर प्रकृति के अपराध जिसमें दो साल से अधिक की सजा का प्रावधान हो तो फिर उस सदस्य, पदाधिकारी, आईओए की कार्यकारी परिषद के सदस्य को तुरंत इस्तीफा देना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसे स्थायी रूप से निलंबित मान लिया जाएगा और वह चुनावों में भाग लेने के योग्य नहीं होगा तथा आगे की सलाह के लिये मामला आईओए नैतिक आयोग के पास भेजा जाएगा।’ आईओसी यदि इस संशोधन को स्वीकार कर लेती है तो फिर भारत का ओलंपिक में लौटने का रास्ता साफ हो जाएगा। विश्व संस्था ने पिछले साल चार दिसंबर को आईओए को निलंबित कर दिया था। इससे आईओसी और आईओए के बीच पिछले एक साल से चला आ रहा गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा। रघुनाथन ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि आईओसी सात से दस दिन में हमें अपना जवाब भेज देगी। गेंद अब आईओसी के पाले में है। हमें जो कहा गया था हमने वह कर दिया है। हमें उम्मीद है कि आईओसी अब आईओए से प्रतिबंध हटा देगी।’ उन्होंने कहा कि चौटाला और भनोट को तुरंत इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है लेकिन आईओसी से संशोधन को मंजूरी मिलने या चुनावों से पहले उन्हें ऐसा करना होगा।
उन्होंने कहा कि आईओसी यदि संशोधन स्वीकार करती है तो वह आईओए पर से प्रतिबंध हटाने का फैसला कर सकती है। चौटाला ने स्वयं कहा कि वह आईओए के आगामी चुनावों में भाग नहीं लेंगे लेकिन साफ किया कि संशोधन आईओसी के दबाव में किया गया। उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा लेकिन दो बातें है।। पहली संशोधन आईओसी के दबाव में किया गया और दूसरी हमने भारतीय खिलाड़ियों के हितों को ध्यान में रखकर संशोधन किया ताकि वे भारतीय ध्वज तले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले सकें।’ चौटाला ने कहा, ‘लेकिन हमें अपना पक्ष रखने की अनुमति मिलनी चाहिए। भारतीय कानून के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगने का मतलब यह नहीं है कि वह दोषी है। संशोधन स्वीकार होने के बाद आईओए का प्रतिनिधिमंडल आईओसी मुख्यालय जाकर उन्हें भारत की कानूनी स्थिति से अवगत कराएगा। भनोट ने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा, संशोधन के बाद मैं इस योग्य नहीं हूं इसलिए चुनाव नहीं लड़ूंगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 8, 2013, 20:59