Last Updated: Monday, November 18, 2013, 12:16

मुंबई : क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने संन्यास लेने के बाद पहली बार मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि क्रिकेट मेरा ‘ऑक्सीजन’ है। इसलिए क्रिकेट से किसी न किसी रूप में हमेशा जुड़ा रहूंगा। उन्होंने कहा कि उन्हें अहसास हो गया था कि अब खेल को अलविदा कहने का समय आ गया है लेकिन वह भविष्य में किसी रूप में क्रिकेट से जुड़े रहेंगे। वेस्टइंडीज के खिलाफ शनिवार को 200वां और आखिरी टेस्ट खेलकर 24 बरस के अंतरराष्ट्रीय करियर को अश्रुपूर्ण विदाई देने वाले तेंदुलकर ने रविवार को संन्यास के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में लगभग एक घंटे तक खुलकर मीडिया के हर सवाल का सहजता से जवाब दिया।
उन्होंने संन्यास के अपने फैसले पर कहा, मेरे संन्यास को लेकर वर्षों से सवाल उठ रहे थे और मैं हमेशा कहता आया था कि जिस दिन यह अहसास होगा कि मुझे खेलना रोक देना चाहिए, मैं खुद ऐलान करूंगा। मेरे शरीर ने संदेश दे दिया था कि अब वह और बोझ नहीं ले सकता। अभ्यास में प्रयास करना पड़ रहा था और यह अहसास होते ही मैंने फैसला ले लिया जिसका मुझे कोई खेद नहीं है। उन्होंने कहा, 24 साल तक देश के लिए खेलते हुए मैंने अलग-अलग चुनौतियों का सामना किया लेकिन परिवार, कोचों, दोस्तों और साथी खिलाड़ियों की मदद से यह सफर स्वर्णिम रहा। मुझे शनिवार की रात तक यकीन नहीं हो रहा था कि अब कहीं नहीं खेलूंगा। लेकिन मुझे कोई खेद नहीं है। यह सही वक्त था और मैंने अपने सफर का पूरा मजा लिया। तेंदुलकर ने यह भी कहा कि वह भविष्य में क्रिकेट से जुड़े रहेंगे।
उन्होंने कहा, क्रिकेट मेरी ऑक्सीजन है और 40 साल में से 30 साल मैं क्रिकेट खेला हूं यानी जीवन का 75 प्रतिशत समय क्रिकेट को दिया है। भविष्य में भी किसी स्तर पर क्रिकेट से जुड़ा रहूंगा, भले ही निकट भविष्य में नहीं। अभी मुझे संन्यास लिए को चौबीस घंटे ही हुए हैं तो कम से कम चौबीस दिन तो आराम करूंगा।
तेंदुलकर ने यह भी कहा कि शनिवार को मैदान पर अपने जज्बात काबू में रखने की उन्होंने पूरी कोशिश की लेकिन विकेट से बात करते समय वह आंसू नहीं रोक सके। उन्होंने कहा, मेरे परिवार में सभी भावुक हो रहे थे लेकिन मैं नहीं था। मैंने अपने जज्बात काबू में रखे लेकिन जब खिलाड़ियों ने मुझे विदाई दी और मैं विकेट से बात कर रहा था तब अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सका। उस समय मुझे लगा कि मैं अब कभी भारत के लिए नहीं खेलूंगा तो मैं काफी भावुक हो गया। उन्होंने कहा, मुझे लगा कि मैं आखिरी बार खचाखच भरे स्टेडियम में खेल रहा हूं। कभी भारत के लिए बल्ला नहीं थाम सकूंगा तो मैं भावुक हो गया । मैं ड्रेंसिंग रूम में लौट रहा था तो मेरी आंख में आंसू थे। उस अहसास को जाहिर कर पाना मुश्किल है लेकिन इस सबके बावजूद मुझे लगता है कि मेरा फैसला सही था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका दिल हमेशा भारत की जीत के लिए दुआ करता रहेगा।
भारत रत्न सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी तेंदुलकर ने कहा, मैं भले ही शारीरिक रूप से टीम के साथ नहीं रहूं लेकिन मेरा दिल हमेशा भारत की जीत की दुआ करता रहेगा, सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं बल्कि हर खेल में। उन्होंने यह भी कहा कि अपनी मां के लिए उन्होंने बीसीसीआई से आखिरी टेस्ट मुंबई में रखने का अनुरोध किया था।
तेंदुलकर ने कहा, मेरी मां ने कभी मुझे मैदान में खेलते नहीं देखा था और कभी कहा भी नहीं कि वह मैच देखने आना चाहती है। मैंने जब संन्यास का फैसला लिया और यह सीरीज होनी थी तो मैने बीसीसीआई से अनुरोध किया कि आखिरी टेस्ट मुंबई में आयोजित करे। यह मेरी मां के लिये सरप्राइज था। उन्होंने कहा, मेरी मां बहुत खुश थी। पहले मुझे लगा कि स्वास्थ्य कारणों से वह आएगी भी या नहीं। मैंने एमसीए से एक कमरा भी रखने के लिए कहा था लेकिन मेरी मां ने पूरा मैच देखा। यह मेरे लिए खास था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार का उनके करियर में खास योगदान रहा है।
तेंदुलकर ने कहा, मेरे परिवार ने मेरी हमेशा हौसलाअफजाई की है। चाहे मैं शतक बनाउं या 15-20 रन। मैं अच्छा प्रदर्शन इसलिए कर सका क्योंकि परिवार से अपेक्षाओं का बोझ नहीं था। हर भारतीय परिवार की तरह हम भगवान को मिठाई चढ़ाकर खुशी मनाते हैं और मेरी मां ने भी यही किया। अपने भाई और प्रेरक अजीत तेंदुलकर के बारे में उन्होंने कहा, हम दोनों का यह साझा सपना था। मैं शब्दों में नहीं बता सकता कि अजीत ने मेरे लिए क्या किया है। वह भावुक था लेकिन मुझे दिखा नहीं रहा था। वह राहत महसूस कर रहा था। लोगों ने जो प्यार दिखाया, वह कल्पना नहीं किया जा सकता। यह भगवान ही तय करते हैं। मैं भगवान को धन्यवाद देता हूं और अजीत भी ऐसा ही सोच रहा था।
अपने करियर में कई चोटों का सामना करने वाले तेंदुलकर ने कहा कि एक बार तो उन्हें लगा था कि वह दोबारा बल्ला भी नहीं पकड़ सकेंगे। उन्होंने कहा, ये चुनौतियां काफी मुश्किल थी और करियर खत्म होने का डर था। टेनिस एल्बो के बाद तो मैं अर्जुन का प्लास्टिक का बल्ला भी नहीं उठा पा रहा था। पहली बार मैदान पर उतरा तो 10-12 साल के बच्चे मेरे शॉट्स रोक रहे थे जिससे मुझे लगा कि अब दोबारा नहीं खेल पाउंगा। वह दबाव कुछ अलग ही था। उस समय कई लोगों की मदद से मैं वापसी कर सका। उन सभी को धन्यवाद ।
संगीत के शौकीन तेंदुलकर से उनके पसंदीदा फनकारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी एक का नाम लेना कठिन होगा। उन्होंने कहा, संगीत मेरा शौक और साथी है। मैं खूब गाने सुनता हूं। अच्छे मूड में होता हूं तो अलग और खराब मूड में अलग। सभी कलाकारों की कद्र करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि उस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं होता। कुछ तो बरसों से लगातार बेहतरीन गा रहे हैं। संन्यास के बाद की दिनचर्या के बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने कहा, मैं आज सुबह साढे छह बजे उठा तो मुझे लगा कि जल्दी तैयार होकर मैच के लिए भागना नहीं है। मैंने चाय बनाई। पत्नी के साथ शानदार नाश्ता किया। लोगों के मेसेजों का जवाब दिया।
First Published: Monday, November 18, 2013, 10:39