Last Updated: Sunday, November 17, 2013, 23:39

मुंबई : सचिन तेंदुलकर संन्यास के बाद जब पहली बार पत्रकारों से रू-ब-रू हुए तो वह एक पिता के रूप में भी नजर आये और उन्होंने मीडियाकर्मियों से अपने युवा क्रिकेटर बेटे अर्जुन पर दबाव नहीं बनाने का आग्रह किया। अर्जुन अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और मुंबई की अंडर-14 टीम के सदस्य रह चुके हैं। उनके प्रदर्शन पर हालांकि मीडिया की निगाह लगी रहती है जिससे तेंदुलकर खुश नहीं नजर आए।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘पिता होने के नाते मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उसे अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए। उसे क्रिकेट का मजा लेने दीजिए। उससे अपेक्षाएं मत रखो कि उसके पिता ने ऐसी क्रिकेट खेली तो उसे भी वैसा ही खेलना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी इस तरह की अपेक्षाएं नहीं झेली हैं। मेरे पिताजी प्रोफेसर थे और मेरे समय में मेरे पिताजी से यह सवाल नहीं किया गया कि आपके बेटे ने कलम के बजाय क्रिकेट का बल्ला क्यों थाम लिया।’’
तेंदुलकर ने कहा कि अर्जुन भी क्रिकेट से भरपूर प्यार करता है और उसे भी इस खेल का पूरा लुत्फ उठाने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये प्यार जरूरी है और वह इस खेल से प्यार करता है। मैं उस पर प्रदर्शन का दबाव नहीं डालना चाहूंगा। आप भी दबाव मत डालो। उसे खुला छोड़ दो और खेल का मजा लेने दो। आगे क्या होता यह भगवान तय करेंगे, हम नहीं।’’
तेंदुलकर ने यह भी कहा कि कल मैदान पर अपने जज्बात काबू में रखने की उन्होंने पूरी कोशिश की लेकिन विकेट से बात करते समय वह आंसू नहीं रोक सके। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे परिवार में सभी भावुक हो रहे थे लेकिन मैं नहीं था। मैने अपने जज्बात काबू में रखे लेकिन जब खिलाड़ियों ने मुझे विदाई दी और मैं विकेट से बात कर रहा था तब अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सका। उस समय मुझे लगा कि मैं अब कभी भारत के लिये नहीं खेलूंगा तो मैं काफी भावुक हो गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगा कि मैं आखिरी बार खचाखच भरे स्टेडियम में खेल रहा हूं। कभी भारत के लिये बल्ला नहीं थाम सकूंगा तो मैं भावुक हो गया। मैं ड्रेंसिंग रूम में लौट रहा था तो मेरी आंख में आंसू थे। उस अहसास को जाहिर कर पाना मुश्किल है लेकिन इस सबके बावजूद मुझे लगता है कि मेरा फैसला सही था।’’
उन्होंने यह भी कहा कि उनका दिल हमेशा भारत की जीत के लिये दुआ करता रहेगा। भारत रत्न सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ मैं भले ही शारीरिक रूप से टीम के साथ नहीं रहूं लेकिन मेरा दिल हमेशा भारत की जीत की दुआ करता रहेगा, सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं बल्कि हर खेल में।’’
उन्होंने यह भी कहा कि अपनी मां के लिये उन्होंने बीसीसीआई से आखिरी टेस्ट मुंबई में रखने का अनुरोध किया था। तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ मेरी मां ने कभी मुझे मैदान में खेलते नहीं देखा था और कभी कहा भी नहीं कि वह मैच देखने आना चाहती है। मैंने जब संन्यास का फैसला लिया और यह श्रृंखला होनी थी तो मैने बीसीसीआई से अनुरोध किया कि आखिरी टेस्ट मुंबई में आयोजित करे। यह मेरी मां के लिये सरप्राइज था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी मां बहुत खुश थी। पहले मुझे लगा कि स्वास्थ्य कारणों से वह आयेगी भी या नहीं। मैंने एमसीए से एक कमरा भी रखने के लिये कहा था लेकिन मेरी मां ने पूरा मैच देखा। यह मेरे लिये खास था।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार का उनके कैरियर में खास योगदान रहा है।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरे परिवार ने मेरी हमेशा हौसलाअफजाई की है। चाहे मैं शतक बनाऊं या 15-20 रन। मैं अच्छा प्रदर्शन इसलिये कर सका क्योंकि परिवार से अपेक्षाओं का बोझ नहीं था। हर भारतीय परिवार की तरह हम भगवान को मिठाई चढाकर खुशी मनाते हैं और मेरी मां ने कल भी यही किया।’’
अपने भाई और प्रेरक अजीत तेंदुलकर के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘ हम दोनों का यह साझा सपना था। मैं शब्दों में नहीं बता सकता कि अजीत ने मेरे लिये क्या किया है। कल वह भावुक था लेकिन मुझे दिखा नहीं रहा था। वह राहत महसूस कर रहा था। लोगों ने कल जो प्यार दिखाया, वह बयान नहीं किया जा सकता। यह भगवान ही तय करते हैं। मैं भगवान को धन्यवाद देता हूं और अजीत भी ऐसा ही सोच रहा था।’’
अपने कैरियर में कई चोटों का सामना करने वाले तेंदुलकर ने कहा कि एक बार तो उन्हें लगा था कि वह दोबारा बल्ला भी नहीं पकड़ सकेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ये चुनौतियां काफी मुश्किल थी और कैरियर खत्म होने का डर था। टेनिस एल्बो के बाद तो मैं अर्जुन का प्लास्टिक का बल्ला भी नहीं उठा पा रहा था। पहली बार मैदान पर उतरा तो 10-12 साल के बच्चे मेरे शाट्स रोक रहे थे जिससे मुझे लगा कि अब दोबारा नहीं खेल पाऊंगा। वह दबाव कुछ अलग ही था। उस समय कई लोगों की मदद से मैं वापसी कर सका। उन सभी को धन्यवाद।’’
संगीत के शौकीन तेंदुलकर से उनके पसंदीदा फनकारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी एक का नाम लेना कठिन होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ संगीत मेरा शौक और साथी है। मैं खूब गाने सुनता हूं। अच्छे मूड में होता हूं तो अलग और खराब मूड में अलग। सभी कलाकारों की कद्र करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि उस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं होता। कुछ तो बरसों से लगातार बेहतरीन गा रहे हैं।’’
संन्यास के बाद की दिनचर्या के बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ मैं आज सुबह साढ़े छह बजे उठा तो मुझे लगा कि जल्दी तैयार होकर मैच के लिये भागना नहीं है। मैंने चाय बनाई। पत्नी के साथ शानदार नाश्ता किया। लोगों के संदेशों का जवाब दिया।’’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 17, 2013, 15:57