अब इतिहास से मेरा नाम कभी नहीं मिटेगा: अरविंद भट

अब इतिहास से मेरा नाम कभी नहीं मिटेगा: अरविंद भट

अब इतिहास से मेरा नाम कभी नहीं मिटेगा: अरविंद भटनई दिल्ली : भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी अरविंद भट 34 बरस की उम्र में बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने के बाद संतुष्ट हैं कि वह बैडमिंटन इतिहास में अपना नाम दर्ज करा पाए। दो बार के पूर्व राष्ट्रीय चैम्पियन अरविंद के श्रीकांत के अलाव सिर्फ दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने जो देश के बाहर ग्रां प्री गोल्ड टूर्नामेंट जीतने में सफल रहे। उन्होंने जर्मन ओपन में रविवार को फाइनल में डेनमार्क के हेंस क्रिस्टियन विटिंगस को हराया।

अरविंद ने कहा, ‘‘यह अविश्वसनीय अहसास है। मैं कभी इस टूर्नामेंट को जीतने की उम्मीद नहीं की थी। मेरा लक्ष्य अपने करियर में कम से कम एक बड़ा खिताब जीतना था। मेरे दिमाग में उम्र की बात थी लेकिन मुझे हमेशा लगता था कि मैं कभी ना कभी ऐसा कर सकता हूं। ईमानदारी से कहूं तो मैं सोचता था कि मैं कभी ना कभी ऐसा कर पाउंगा लेकिन मैंने टूर्नामेंट खेलने के दौरान कभी नहीं सोचा कि मैं इसे जीत जाउंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘फरवरी की शुरूआत में अखिल भारतीय रैंकिंग टूर्नामेंट से पहले मेरी पीठ में चोट लगी थी जब मैं अपने बेटे से जुड़े समारोह में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता में था। मैं इसके बादवजूद टूर्नामेंट में खेला और 16 साल से सिरिल वर्मा से हार गया। और इसलिए यहां खिताब जीतना सपना साकार होने जैसा है।’’

अरविंद ने कहा कि वह शुरूआत में जर्मन ओपन में खेलने को लेकर आश्वस्त नहीं थे और उनके जर्मन लीग के क्लब मैनेजर हेंस वेर्नर नीसनर ने उन्हें 120000 डालर इनमी ग्रां प्री गोल्ड टूर्नामेंट में खेलने के लिए मनाया। बेंगलूर के 34 वर्षीय अरविंद ने कहा कि छह दिवसीय टूर्नामेंट मानसिक और शारीरिक रूप से उनके लिए कड़ा था। उन्होंने कहा, ‘‘शारीरिक रूप से यह काफी थकाने वाला था लेकिन मैं फिट महसूस कर रहा था। मैं खेलने के लिए बेताब था। आदर्श तैयारी नहीं होने के बावजूद मैं तरोताजा महसूस कर रहा था। मानसिक हिस्सा अधिक चुनौतीपूर्ण था। मेरी पूरी परीक्षा हुई।’’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 4, 2014, 21:59

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