Last Updated: Saturday, October 12, 2013, 18:09

पुणे : भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को निराशा है कि सचिन तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने से केवल दो टेस्ट मैच दूर है लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि यह स्टार बल्लेबाज अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहा है।
चालीस वर्षीय तेंदुलकर अगले महीने अपना 199वां और 200वां टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलेंगे। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे। उन्होंने अपने करियर में कई रिकार्ड बनाये जिसमें 100 अंतरराष्ट्रीय शतक भी शामिल हैं।
धोनी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ कल होने वाले पहले वनडे मैच की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे पता था कि ऐसा (संन्यास) होने जा रहा है। मैं उनके लिये खुश हूं। जिस तरह से उनका शानदार करियर रहा। जिस तरह से वह अपने करियर के दौरान हमेशा शीर्ष पर रहे। वह 23 साल या उसके बाद हमेशा शीर्ष पर रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने इतने अधिक भारतीयों की अपेक्षाओं के बोझ को ढोया है। कई बार भारतीय प्रशंसक बहुत अधिक अपेक्षाएं करने लग जाते हैं। इन सब को सहना और फिर शानदार प्रदर्शन करना लाजवाब है।’’
धोनी ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि अभी हमें उनके दो टेस्ट मैचों का पूरा लुत्फ उठाना चाहिए। इससे मुझे टेस्ट मैचों में खचाखच भरा स्टेडियम देखने को मिलेगा। मैंने बड़ी संख्या में दर्शकों को आते हुए देखा है लेकिन इस बार दोनों मैच स्थलों पर स्टेडियम का खचाखच भरा रहना तय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप लंबे समय तक अपनी टीम के शीर्ष बल्लेबाज होते हो तो फिर प्रत्येक आपके प्रदर्शन पर नजर लगाये रहता है। मैं समझता हूं कि उन्हें क्रिकेट से इतर कई अन्य चीजों से निबटना पड़ा। क्रिकेट निश्चित तौर पर उनका जुनून था। उन्हें इसके इर्द गिर्द की कई अन्य चीजों से भी निबटना पड़ा और यदि आप इन सब पर गौर करो तो मैं समझता हूं कि उनका करियर शानदार रहा। ’’
धोनी ने खुशी जतायी कि तेंदुलकर अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वह कुछ चोटों से भी जूझ रहे हैं। मुझे खुशी है कि उनका करियर शानदार रहा और इसलिए भी कि वह अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इसके साथ ही दिल के किसी कोने में यह टीस भी है कि आप उन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय टीम या क्रिकेट के किसी प्रारूप में नहीं खेल पाएंगे। मैं केवल इसी को लेकर निराश हूं।’’
धोनी ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर यह एक युग का अंत है। हम सभी जानते हैं कि जब उन्होंने 1989 में क्रिकेट खेलनी शुरू की तो मैं आठ साल का था।’’
उन्होंने कहा ‘‘ यह बताना मुश्किल है कि मैंने उनसे क्या सीखा। मुझे उनके साथ बल्लेबाजी का जितना भी मौका मिला मैंने खेल को पढ़ना सीखा। विशेषकर वनडे में मैंने सीखा कि गेंदबाज को कैसे निशाना बनाना है और किसी वक्त पर क्या करना है। मैं समझता हूं कि इससे वास्तव में मुझे मदद मिली। इसके अलावा कई चीजें मैंने उनसे सीखी और एक प्रेस कान्फ्रेंस उनका बयां करने के लिये बहुत छोटी पड़ जाएगी।’’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 12, 2013, 18:09