अपने आखिरी रणजी मैच में मुंबई की जीत के नायक बने सचिन तेंदुलकर । Ranji Trophy: Sachin Tendulkar scores match-winning 79 in his last innings for Mumbai

अपने आखिरी रणजी मैच में मुंबई की जीत के नायक बने सचिन तेंदुलकर

अपने आखिरी रणजी मैच में मुंबई की जीत के नायक बने सचिन तेंदुलकर ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

लाहली (रोहतक) : अपने जीवन के आखिरी रणजी मैच में मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर ने नाबाद पारी खेलकर मुंबई की जीत के नायक बने। सचिन का घरेलू क्रिकेट में यह आखिरी मैच था। मैच खत्‍म होने के बाद साथी क्रिकेटरों ने मैदान में उन्‍हें कंधे पर बिठकार घुमाया और उन्‍हें शानदार तरीके से मैदान से जाते समय विदाई दी। सचिन (नाबाद 79) की संयमभरी अर्धशतकीय पारी की बदौलत मुंबई ने बंसीलाल स्टेडियम में खेले गए मौजूदा रणजी सत्र के पहले दौर के ग्रुप-ए मुकाबले में हरियाणा को चार विकेट से हरा दिया।

सचिन ने मैच के बाद कहा कि इस मैच में 240 रन का टारेगट बहुत मुश्किल था। अब वह वेस्‍टइंडीज के खिलाफ मैच में खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगे।

अपने करियर की अंतिम रणजी पारी में सचिन ने 175 गेंदों का सामना करते हुए छह चौके लगाए। इस पारी के दौरान सचिन ने तीसरे विकेट के लिए कौस्तुभ पवार (47) के साथ 22, अभिषेक नायर (24) के साथ चौथे विकेट के लिए 51, हितेन शाह (8) के साथ छठे विकेट के लिए 23 और धवल कुलकर्णी (नाबाद 16, 72 गेंद, दो चौके) के साथ सातवें विकेट के लिए नाबाद 50 रन जोड़े। सचिन को मैन ऑफ द मैच चुना गया।

सचिन मैच के तीसरे दिन की समाप्ति तक 55 रनों पर नाबाद लौटे थे। मुंबई ने दिन की समाप्ति तक छह विकेट पर 201 रन बनाए थे और उसे जीत के लिए 39 रनों की दरकार थी। सुबह के सत्र में मुंबई को धवल का विकेट गंवाने का डर था, जिसके बाद पुछल्ले शायद सचिन का साथ नहीं दे पाते और मुंबई को जीतकर भी हारना पड़ता।

सचिन ने लेकिन इन सभी आशंकाओं को निराधार साबित किया और तीसरे दिन की भांति चौथे दिन बुधवार को संयम के साथ विकेट पर डटे रहे और साथ ही साथ धवल को भी अपना विकेट बचाए रखने के लिए प्रेरित करते रहे। धवल के लिए यह जीवनर्पयत याद रखने वाली पारी होगी क्योंकि वह उस खिलाड़ी के साथ अपनी टीम को जीत दिलाने में लगे रहे, जो इस देश में क्रिकेट प्रेमियों के लिए `भगवान है।` मजेदार बात यह है कि धवल का जन्म 10 दिसम्बर 1988 में हुआ था और इसी दिन सचिन ने अपना पहला रणजी मैच खेला था।

मोहित शर्मा की गेंद पर विजयी चौका लगाते ही सचिन ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर ईश्वर का धन्यवाद किया और अपने साथियों का अभिनंदन स्वीकार किया। इसके बाद सचिन ने हरियाणा के सभी खिलाड़ियों से हाथ मिलाया और फिर मैदान में मौजूद अम्पयार शावीर तारापोर और के. भरतन से मिले। मैदान के एक छोर पर (पवेलियन की ओर) मुंबई के खिलाड़ियों ने सचिन को अपने कंधों पर उठा लिया। दर्शकों ने सचिन का नारों के साथ अभिनंदन किया। वे इस बात को लेकर खुश थे कि सचिन ने अच्छी पारी खेली लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी था कि उनकी घरेलू टीम सचिन से हार गई।

सचिन अपने करियर की अंतिम रणजी पारी में नाबाद लौटे। इस तरह सचिन ने इतिहास कायम किया। सचिन ने मुंबई के लिए 1988 में रणजी में पदार्पण करते हुए वानखेड़े स्टेडियम में गुजरात के खिलाफ 100 रनों की नाबाद पारी खेली थी। वह मैच मुंबई ने जीता था। इस तरह सचिन ने अपनी टीम के लिए पहला और अंतिम रणजी मैच जीता। यही नहीं, सचिन ने 1991 सत्र में हुए रणजी फाइनल में हरियाणा के खिलाफ शतक लगाया और अपनी टीम को जीत दिलाई थी। हरियाणा के लिए कपिल देव खेल रहे थे और सचिन ने कपिल जैसे कद्दावर की मौजूदगी में हरियाणा को खिताब से महरूम कर दिया था।

First Published: Wednesday, October 30, 2013, 11:47

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