भाई अजित तेंदुलकर की जुबानी, सचिन तेंदुलकर की निजी जिंदगी की कहानी

भाई अजित तेंदुलकर की जुबानी, सचिन तेंदुलकर की निजी जिंदगी की कहानी

भाई अजित तेंदुलकर की जुबानी, सचिन तेंदुलकर की निजी जिंदगी की कहानीमुंबई : सचिन तेंदुलकर के बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने आज कहा कि इस दिग्गज बल्लेबाज को अपने 24 साल के लंबे करियर में करोड़ों भारतीयों के सपनों को पूरा करने के लिये तनाव और दबाव भरी जिंदगी जीनी पड़ी। सचिन गुरुवार से यहां वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाले दूसरे टेस्ट मैच के बाद क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। अजित ने कहा कि उनके संन्यास के बाद निश्चित तौर पर कुल अलग तरह से महसूस होगा।

अजित ने कहा, 18 नवंबर की शाम को अलग तरह से महसूस होगा। हमारे परिवार में सभी ने उनकी क्रिकेट को लेकर सपने देखे। वे समाप्त हो जाएंगे लेकिन यह समापन खुशी के साथ हो रहा है। उनके अधिकतर सपने सच हुए। मैं समझता हूं कि उन्होंने भारतीय प्रशंसकों के सपनों को पूरा किया। उन्होंने कहा, 18 नवंबर के बाद सचिन भारतीय टीम की कैप नहीं पहनेंगे। यह बहुत बड़ा बदलाव होगा क्योंकि वह पिछले 24 साल से बड़े गर्व के साथ इसे पहन रहे थे। अपने पूरे करियर के दौरान प्रत्येक उनसे शतक की उम्मीद करता था और वह बहुत अधिक तनाव और दबाव में रहता था लेकिन उसका अपना महत्व था। संन्यास के बाद उन्हें गेंदबाजों का सामना नहीं करना होगा और तैयारियां नहीं करनी होंगी। शायद वह अधिक बटर और चिकन खा सकते हैं जैसा कि वह चाहते हैं।

अजित ने कहा कि सचिन छोटी उम्र में करोड़पति बन गये थे लेकिन उनके लिये वह तभी करोड़पति होते थे जब वह रन बनाते थे। उन्होंने कहा, मेरे लिये वह करोड़पति तभी थे जब वह शतक बनाते थे। जब वह रन बनाता था तो ऑटो में जाने में भी मजा आता था। यदि वह रन नहीं बनाता था तो बीएमडब्ल्यू में जाने में भी मजा नहीं आता था। तेंदुलकर का परिवार ने हमेशा खुद को उनके मैचों से दूर रखा लेकिन अजित ने कहा कि उनका पूरा परिवार इस महान बल्लेबाज का आखिरी मैच देखेगा।

उन्होंने कहा, मैं इस बार निश्चित तौर पर उन्हें खेलते हुए देखूंगा। यह आखिरी बार और मेरे लिये आखिरी मौका है। हमारी मां पहली बार उन्हें अपनी आंखों से सामने खेलते हुए देखेगी। अजित से पूछा गया कि इतने वर्षों तक उन्होंने तेंदुलकर को खेलते हुए क्यों नहीं देखा, उन्होंने कहा, कुछ चीजें थी जिनसे हम डरते थे। इनमें से एक उनका अपना विकेट आसानी से गंवाने की प्रवृति थी। राजसिंह डूंगरपुर ने एक बार मेरे पिताजी को फोन करके कहा, सचिन से कहो कि कार पहले गियर से शुरू करें पांचवें गियर से नहीं।

उन्होंने कहा, मेरी मां प्रार्थना करेगी और मेरी बहन व्रत रखेगी। नितिन ( दूसरा भाई) भी कुछ करेगा। मैं उसके बल्लेबाजी के लिये जाने से पहले सकारात्मकता बनाये रखने की कोशिश करूंगा। एक बार जब बल्लेबाज क्रीज पर उतर जाता है तो फिर किसी का नियंत्रण नहीं रहता लेकिन यह उसके साथ होने का हमारा प्रयास होगा। सचिन चार भाई बहनों में सबसे छोटे हैं।

अजित ने 1999 की घटना को भी याद किया जब उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने कहा, यदि पिताजी पांच मिनट के लिये भी जीवित हो जाते तो सचिन से यही कहते कि जाओ और 1999 विश्व कप में खेलो। उन्होंने कहा, मई में भारतीय टीम जब श्रीलंका में थी तब हमारे पिताजी को दिल का दौरा पड़ा था। मैंने पिताजी से कहा कि सचिन कल बल्लेबाजी करेगा और मैं उससे नहीं कहूंगा कि आपकी तबीयत ठीक नहीं है। इसके बाद मैं अपने पिताजी के पास आया और कहा कि सचिन ने शतक जड़ा है और वह खुश है। हम सभी को लगा कि उसे विश्व कप में खेलना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 12, 2013, 17:46

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