सचिन ने कभी खुद को खेल से बड़ा नहीं समझा: VVS लक्ष्मण

सचिन ने कभी खुद को खेल से बड़ा नहीं समझा: VVS लक्ष्मण

सचिन ने कभी खुद को खेल से बड़ा नहीं समझा: VVS लक्ष्मणनयी दिल्ली : सचिन तेंदुलकर के साथ करीब 16 साल खेल चुके वीवीएस लक्ष्मण के लिये उनकी सबसे बड़ी खूबी तलाशना कठिन काम है लेकिन हैदराबाद के इस स्टायलिश बल्लेबाज ने कहा कि सचिन इसलिये सबसे खास है कि उन्होंने कभी खुद को खेल से उपर नहीं समझा। लक्ष्मण ने कहा, युवा खिलाड़ी सचिन से जो सबसे बड़ी सीख ले सकते हैं वह यही है कि इतना महान खिलाड़ी होने के बावजूद उसने कभी खुद को खेल से उपर नहीं समझा। उसने खेल और अपने साथी खिलाड़ियों को जो सम्मान दिया, वह उसे खास बनाता है। उन्होंने कहा, वह विलक्षण प्रतिभा का धनी है और हमेशा खेलभावना से खेला है। उसने हमेशा टीम की जरूरतों को अपनी जरूरतों से उपर रखा। चोटों के बाद जिस तरह उसने वापसी की और देश के लिये खेला, वह प्रेरणास्पद है। वह सिर्फ क्रिकेटरों ही नहीं बल्कि हर खिलाड़ी के लिये सही मायने में रोलमाडल है।

उन्होंने कहा, सचिन का कैरियर यादगार और सुनहरा रहा है। सिर्फ इसलिये नहीं क्योंकि उन्होंने बेशुमार रन और रिकार्ड बनाये बल्कि मैदान से बाहर उनके आचरण के लिये भी। यह उतना आसान नहीं होता।लक्ष्मण ने कहा कि हर भारतीय क्रिकेटर की तरह सचिन उनके आदर्श रहे हैं ।

लक्ष्मण ने कहा, मैं गौरवान्वित महसूस करता हूं कि सचिन के साथ 16 साल तक खेला। मैने उनसे काफी कुछ सीखा क्योंकि 16 साल की कम उम्र में जिस सहजता से उन्होंने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों का सामना किया, वह कोई बिरला ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 1996 में उनकी पदार्पण श्रृंखला में सचिन ने उन्हें सहज महसूस कराया।

उन्होंने कहा, सचिन उस समय टीम के कप्तान थे जब 1996 में मैने पदार्पण किया। उनहोंने यह सुनिश्चित किया कि मैं मैदान के भीतर और बाहर सहज महसूस करूं। पूरे कैरियर में सचिन के साथ सबसे यादगार घटना के बारे में पूछने पर लक्ष्मण ने कहा कि किसी एक के बारे में बताना कठिन है।

उनहोंने कहा, हम साल में 250 दिन यात्रा करते थे और इतना समय साथ गुजारा है कि कोई एक घटना याद करना मुश्किल है। मैं फिर कहूंगा कि उनकी सबसे अच्छी बात मुझे लगती है कि वह मैदान के बाहर किस तरीके से पेश आते हैं । भारत में उन्हें भगवान का दर्जा हासिल है और ऐसे में आत्ममुग्ध होना आसान है लेकिन वह हमेशा विनम्र बने रहे। उन्होंने इसका श्रेय सचिन के परिवार को दिया। उन्होंने कहा, वह 24 साल से खेल रहे हैं लेकिन हमने उन्हें किसी विवाद में पड़ते नहीं देखा। उनके माता पिता, भाई, पत्नी अंजलि को बधाई देनी चाहिये जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनका फोकस क्रिकेट पर ही रहे।

यह पूछने पर कि महान खिलाड़ियों की सूची में वह सचिन को कहां रखेंगे, लक्ष्मण ने किसी से उनकी तुलना करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, महान खिलाड़ियों की तुलना करना आसान नहीं होता लेकिन सचिन शीर्ष जमात में है। मेरे दौर में मैने जिन खिलाड़ियों को खेलते देखा है, उनमें वह सर्वश्रेष्ठ हैं। सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाजों में शुमार लक्ष्मण ने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा था कि कोई बल्लेबाज 200 टेस्ट खेल सकता है।

उन्होंने कहा, मैने कभी सोचा भी नहीं था कि कोई 200 टेस्ट खेल सकता है लेकिन मुझे पता था कि अगर कोई खेलेगा तो वह सिर्फ और सिर्फ सचिन होगा। वह भगवान की देन है जो मैदान पर कुछ भी हासिल कर सकता है। कोई और कभी 200 टेस्ट नहीं खेल सकेगा। यह पूछने पर कि संन्यास के बाद सचिन को वह किस भूमिका में खेल से जुड़े देखना चाहते हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि सचिन भारतीय खेलों को योगदान देते रहेंगे।

उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि उनकी भूमिका क्या होगी लेकिन वह भारतीय खेलों को योगदान देते रहेंगे। जब वह संसद सदस्य बने तो मैने पूछा कि क्यों तो उनका जवाब था कि वह खेलों और खिलाड़ियों की भलाई के लिये भविष्य में कुछ करना चाहते हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 16, 2013, 13:05

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