Last Updated: Tuesday, December 31, 2013, 15:53

नई दिल्ली : महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट से अश्रुपूर्ण विदाई से देश भावुक हो गया था, वहीं शतरंज के जादूगर विश्वनाथन आनंद ने घरेलू मैदान पर विश्व खिताब गंवाकर कईयों के दिल तोड़ दिये जबकि खेल प्रशासकों ने देश को शर्मसार किया, जिससे भारतीय खेलों के लिये यह 2013 का वर्ष भारी उतार चढ़ाव भरा रहा। भारत का ओलंपिक से निलंबन जारी रहा, जो खेल प्रेमियों के लिये निराशाजनक रहा।
आईपीएल स्पाट फिक्सिंग प्रकरण में क्रिकेटरों की गिरफ्तारी ने शर्मनाक प्रकरण में इजाफा किया, जिसमें पूर्व टेस्ट गेंदबाज एस श्रीसंत भी शामिल हैं। इस प्रकरण को आंतरिक जांच में दबाने का प्रयास किया गया, जिससे उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप भी करना पड़ा।
भारतीय खेलों के लिये सफलता की दास्तां बहुत कम रही है जिसमें उभरती बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू शामिल रहीं। इस 18 वर्षीय हैदराबादी ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली पहली महिला शटलर बनकर साइना नेहवाल से सुखिर्यों का रूख अपनी ओर मोड़ा। वहीं साइना खराब फार्म और चोटों से जूझती रहीं, जिससे कोई भी खिताब उनकी झोली में नहीं आ सका।
जूनियर महिला हाकी टीम ने विश्व कप में कांस्य पदक जीता जो उनका इस टूर्नामेंट में पहला पदक था।
कुश्ती में युवा अमित कुमार, बजरंग और संदीप यादव ने ओलंपिक सितारों की अनुपस्थिति में विश्व चैम्पियनशिप में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। वहीं यह खेल फिर से ओलंपिक में शामिल होने में सफल रहा।
भारतीय खेलों के लिये बड़ी उपलब्धियों में से एक 2017 अंडर-17 फुटबाल विश्व कप के मेजबानी अधिकार हासिल करना भी रहा जबकि इससे पहले फीफा ने एक बार भारत की पेशकश अस्वीकार भी कर दी थी। भारतीय तीरंदाजों ने भी अपनी काबिलियत साबित की, जिसमें महिला तिकड़ी ने मौजूदा ओलंपिक चैम्पियन कोरिया को पोलैंड में विश्व कप के चौथे चरण में चार अंक के अंतर से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह भारतीय महिला टीम का साल का दूसरा स्वर्ण पदक था।
क्यू खिलाड़ियों ने भी देश को गर्व करने का मौका प्रदान किया, आदित्य मेहता ने कोलंबिया में विश्व खेलों में स्वर्ण पदक जीता और 3,00,000 डालर के इंडियन ओपन में उप विजेता रहे। मुक्केबाजी में प्रशासकों के बीच तनातनी जारी रही जबकि भारतीय मुक्केबाजी के ‘पोस्टर ब्वाय’ विजेंदर सिंह ड्रग प्रकरण का केंद्र रहे जिससे देश के मुक्केबाजों के लिये यह मुश्किल वर्ष रहा। हालांकि विजेंदर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
पिछले साल अंतरराष्ट्रीय स्तर से निलंबित भारतीय मुक्केबाजी महासंघ की यह मुश्किल बरकरार है जिससे देश के मुक्केबाज राष्ट्रीय तिरंगे के अंतर्गत प्रतियोगिताओं में भाग लेने से महरूम रहे। भारतीय खेलों के लिये इस वर्ष महत्वपूर्ण क्षण तेंदुलकर का 24 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहना रहा।
यह ‘विदाई यादगार’ रही, तेंदुलकर ने मुंबई में घरेलू मैदान वानखेड़े सटेडियम में अपना 200वां और अंतिम टेस्ट खेला। 200 टेस्ट मैच, 100 अंतरराष्ट्रीय शतक और सभी प्रारूपों में 50,000 से ज्यादा रन बनाने वाले तेंदुलकर का 16 नवंबर को भावनात्मक विदाई भाषण भी उनके प्रशंसकों के दिलों में दर्ज हो गया है।
भारतीय खेलों के लिये एक अन्य बुरी खबर इंडियन ग्रां प्री का अगले साल के फार्मूला वन कैलेंडर से हटाना रहा। इस रेस को फार्मूला वन कैलेंडर से ‘लाजिस्टिक’ समस्याओं से हटा दिया गया लेकिन आयोजक 2015 में इसकी वापसी का दावा कर रहे हैं। टेनिस में खिलाड़ियों की बगावत ने खेल को साल के शुरू से विवादों से भर दिया लेकिन सानिया मिर्जा, सोमदेव देववर्मन और लिएंडर पेस की कोर्ट पर सफलता ने इसे हल्का कर दिया।
एथलीटों ने जहां दुनिया के सामने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, वहीं खेल प्रशासकों ने लगातार शर्मसार किया। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) में अधिकारियों के बारे में काफी चर्चा हुई, जिन्होंने साल में कई बार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का उल्लघंन किया। लेकिन आईओए के पास विश्व संस्थान के अल्टीमेटम के बाद संविधान में संशोधन के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
आईओए के दबाव में झुकने से देश के एथलीटों के लिये अगले साल चीजें सुधरेंगी क्योंकि इससे उनके राष्ट्रीय ध्वज के तले भाग लेने का मिल जायेगा। अगर अधिकारी मौजूदा हालात सुधारने में सफल रहते हैं तो एशियाई और राष्ट्रमंडल खेल अगले साल ही होने है, जिससे 2014 भारतीय खेलों के लिये अच्छा वर्ष हो सकता है।(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 31, 2013, 15:48